"गीता 8:9" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-8 श्लोक-9 / Gita Chapter-8 Verse-9== {| width="80%" a...)
 
पंक्ति ४: पंक्ति ४:
 
<td>
 
<td>
 
==गीता अध्याय-8  श्लोक-9 / Gita Chapter-8 Verse-9==  
 
==गीता अध्याय-8  श्लोक-9 / Gita Chapter-8 Verse-9==  
{| width="80%" align="center" style="text-align:justify; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
+
{| width="80%" align="center" style="text-align:center; font-size:130%;padding:5px;background:none;"
 
|-
 
|-
 
| valign="top" |
 
| valign="top" |
पंक्ति १२: पंक्ति १२:
 
----
 
----
 
<div align="center">
 
<div align="center">
'''कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: ।'''
+
'''कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: ।'''<br/>
 
'''सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस: परस्मात् ।।9।।'''
 
'''सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस: परस्मात् ।।9।।'''
 
</div>
 
</div>

०७:१०, ११ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-8 श्लोक-9 / Gita Chapter-8 Verse-9

प्रसंग-


दिव्य पुरूष की प्राप्ति बतलाकर अब उसका स्वरूप बतलाते हैं-


कविं पुराणमनुशासितारमणोरणीयांसमनुस्मरेद्य: ।
सर्वस्य धातारमचिन्त्यरूपमादित्यवर्णं तमस: परस्मात् ।।9।।



जो पुरूष सर्वज्ञ, अनादि, सबके नियन्ता, सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म, सबके धारण-पोषण करने वाले अचिन्त्य स्वरूप, सूर्य के सदृश नित्य चेतन प्रकाश रूप और अविधा से अति परे, शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमेश्वर का स्मरण करता है ।।9।।

He who contemplates on the all- wise, ageless beings, the ruler of all, subtler than the subtle, the universal sustainer, possessing a form beyond human conception, refulgent like the sun and far beyond the darkness of ignorance. (9)


य: = जो पुरूष ; कविम् = सर्वज्ञ ; पुराणम् = अनादि ; अनुशासितारम् = सबके नियन्ता ; अणो: अणीयांसम् = सूक्ष्म से भी अति सूक्ष्म ; सर्वस्य = सबके ; परस्तात् = अतिपरे शुद्ध सच्चिदानन्दघन परमात्मा को ; धातारम् = धारण-पोषण करने वाले ; अचिन्त्यरूपम् = अचिन्त्य स्वरूप ; आदित्यवर्णम् = सूर्य के सद्य्श नित्य चेतन प्रकाशरूप ; तमस: = अविद्या से ; अनुस्मरेत् = स्मरण करता है


<= पीछे Prev | आगे Next =>


अध्याय आठ श्लोक संख्या
Verses- Chapter-8

1 | 2 | 3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 | 10 | 11 | 12, 13 | 14 | 15 | 16 | 17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 | 24 | 25 | 26 | 27 | 28

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__

  • गीता अध्याय-Gita Chapters
    • गीता 1:1|अध्याय [1] Chapter
    • गीता 2:1|अध्याय [2] Chapter
    • गीता 3:1|अध्याय [3] Chapter
    • गीता 4:1|अध्याय [4] Chapter
    • गीता 5:1|अध्याय [5] Chapter
    • गीता 6:1|अध्याय [6] Chapter
    • गीता 7:1|अध्याय [7] Chapter
    • गीता 8:1|अध्याय [8] Chapter
    • गीता 9:1|अध्याय [9] Chapter
    • गीता 10:1|अध्याय [10] Chapter
    • गीता 11:1|अध्याय [11] Chapter
    • गीता 12:1|अध्याय [12] Chapter
    • गीता 13:1|अध्याय [13] Chapter
    • गीता 14:1|अध्याय [14] Chapter
    • गीता 15:1|अध्याय [15] Chapter
    • गीता 16:1|अध्याय [16] Chapter
    • गीता 17:1|अध्याय [17] Chapter
    • गीता 18:1|अध्याय [18] Chapter

</sidebar>