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(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> <table class="gita" width="100%" align="left"> <tr> <td> ==गीता अध्याय-X श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X== {| width="80%" a...)
 
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==गीता अध्याय-X श्लोक-X / Gita Chapter-X Verse-X==  
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==गीता अध्याय-9 श्लोक-1 / Gita Chapter-9 Verse-1==  
 
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'''नवमोऽध्याय प्रसंग-'''
 
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इस अध्याय में भगवान् ने जो उपदेश दिया है, उसको उन्होंने सब विद्याओं का और समस्त गुप्त रखने योग्य भावों का राजा बतलाया है इसलिये इस अध्याय का नाम 'राजविद्याराजगुह्रायोग' रखा गया है ।
 
 
'''प्रसंग-'''
 
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सातवें अध्याय में आरम्भ किये हुए विज्ञान सहित ज्ञान का सांगोपांग वर्णन न होने के कारण उसी विषय को भलीभाँति समझाने के उद्देश्य से भगवान् इस नवम अध्याय का आरम्भ करते हैं । तथा सातवें अध्याय में वर्णित उपदेश के साथ इसका घनिष्ठ संबंध दिखलाने के लिये श्लोक में पुन: उसी विज्ञान सहित ज्ञान का वर्णन करने की  प्रतिज्ञा करते हैं-
 
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'''श्रीभगवानुवाच'''<br />
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'''राजविद्या राजगुह्रां पवित्रमिदमुत्तमम् ।'''<br />
'''इदं तु ते गुह्रातमं प्रवक्ष्याम्यनसूयवे ।'''<br />
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'''प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ।।2।।'''
'''ज्ञानं विज्ञानसहितं यज्ज्ञात्वा मोक्ष्यसेऽशुभात् ।।1।।'''
 
 
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पंक्ति २७: पंक्ति १८:
 
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'''श्रीभगवान् बोले'''
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यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलनवाल, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है ।।2।।
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तुझ दोष दृष्टि रहित भक्त के लिये इस परम गोपनीय विज्ञान सहित ज्ञान को पुन: भलीभाँति कहूँगा, जिसको जानकर तू दु:ख रूप संसार से मुक्त हो जायेगा ।।1।।
 
  
 
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'''Sri Bhagavan said:'''
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This knowledge of both the Nirguna and saguna aspects of divinity is a sovereign science, a sovereign secret, supremely holy, most excellent, directly enjoyable, attended with virtue, very easy to practice and imperishable.(2)
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To you, who are devoid of the carping spirit, I shall now unfold the most secret knowledge of Nirguna Brahma along with the knowledge of manifest divinity, knowing which you shall be free from the evil of worldly existence. (1) अब उसका यथार्थ माहात्म्य सुनाते हैं-
 
 
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पंक्ति ४१: पंक्ति २८:
 
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ते = तुझ ; अनसूयवे = दोषद्य्ष्टिरहित भक्त के लिये ; इदम् = इस ; गुह्मतमम् = परम गोपनीय ; ज्ञानम् = ज्ञान को ; विज्ञानसहितम् = रहस्य के सहित ; प्रवक्ष्यामि = कहूंगा ; तु = कि ; यत् = जिसको ; ज्ञात्वा = जानकर (तूं) ; अशुभात् = दु:खरूप संसार से ; मोक्ष्यसे = मुक्त हो जायगा;
+
इदम् = यह (ज्ञान) ; राजविद्या = सब विद्याओंका राजा (तथा) ; राजगुह्मम् = सब गोपनीयोंका भी राजा (एवं) ; पवित्रम् = अति पवित्र ; उत्तमम् = उत्तम ; प्रत्यक्षावगमम् = प्रत्यक्ष फल वाला (और); धर्म्यम् = धर्मयुक्त है ; कर्तुम् = साधन करने को ; सुसुखम् = बडा सुगम (और) ; अव्ययम् = अविनाशी है ;
 
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०७:५७, ११ अक्टूबर २००९ का अवतरण


गीता अध्याय-9 श्लोक-1 / Gita Chapter-9 Verse-1

राजविद्या राजगुह्रां पवित्रमिदमुत्तमम् ।
प्रत्यक्षावगमं धर्म्यं सुसुखं कर्तुमव्ययम् ।।2।।



यह विज्ञान सहित ज्ञान सब विद्याओं का राजा, सब गोपनीयों का राजा, अति पवित्र, अति उत्तम, प्रत्यक्ष फलनवाल, धर्मयुक्त, साधन करने में बड़ा सुगम और अविनाशी है ।।2।।

This knowledge of both the Nirguna and saguna aspects of divinity is a sovereign science, a sovereign secret, supremely holy, most excellent, directly enjoyable, attended with virtue, very easy to practice and imperishable.(2)


इदम् = यह (ज्ञान) ; राजविद्या = सब विद्याओंका राजा (तथा) ; राजगुह्मम् = सब गोपनीयोंका भी राजा (एवं) ; पवित्रम् = अति पवित्र ; उत्तमम् = उत्तम ; प्रत्यक्षावगमम् = प्रत्यक्ष फल वाला (और); धर्म्यम् = धर्मयुक्त है ; कर्तुम् = साधन करने को ; सुसुखम् = बडा सुगम (और) ; अव्ययम् = अविनाशी है ;


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