गोविन्ददास
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
![]() |
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
गोविंददास / Govind Das
वल्ल्भ संप्रदाय (पुष्टिमार्ग) के आठ कवियों (अष्टछाप कवि) में एक। जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का अपने पदों में वर्णन किया। गोविंद दास जी का एक पद
श्री वल्लभ चरण लग्यो चित मेरो। इन बिन और कछु नहीं भावे, इन चरनन को चेरो ॥1॥
इन छोड और जो ध्यावे सो मूरख घनेरो। गोविन्द दास यह निश्चय करि सोहि ज्ञान भलेरो ॥2॥
सम्बंधित लिंक
|