चाणक्य

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

चाणक्य / कौटिल्य / Chanakya / Kautilya

  • कौटिल्य, चाणक्य एवं विष्णुगुप्त नाम से भी प्रसिद्ध हैं।
  • इनका व्यक्तिवाचक नाम विष्णुगुप्त, स्थानीय नाम चाणक्य (चाणक्यवासी) और गोत्र नाम कौटिल्य (कुटिल से) था।
  • ये चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधानमन्त्री थे।
  • इन्होंने 'अर्थशास्त्र' नामक एक ग्रन्थ की रचना की, जो तत्कालीन राजनीति, अर्थनीति, इतिहास, आचरण शास्त्र, धर्म आदि पर भली भाँति प्रकाश डालता है।
  • 'अर्थशास्त्र' मौर्य काल के समाज का दर्पण है, जिसमें समाज के स्वरूप को सर्वागं देखा जा सकता है।
  • अर्थशास्त्र से धार्मिक जीवन पर भी काफ़ी प्रकाश पड़ता है। उस समय बहुत से देवताओं तथा देवियों की पूजा होती थी। न केवल बड़े देवता-देवी अपितु यक्ष, गन्धर्व, पर्वत, नदी, वृक्ष, अग्नि, पक्षी, सर्प, गाय आदि की भी पूजा होती थी।
  • महामारी, पशुरोग, भूत, अग्नि, बाढ़, सूखा, अकाल आदि से बचने के लिए भी बहुत से धार्मिक कृत्य किये जाते थे। अनेक उत्सव , जादू टोने आदि का भी प्रचार था।
  • कौटिलीय अर्थशास्त्र के अनुसार- राजा का मुख्य कर्तव्य था प्रजा द्वारा वर्णाश्रम धर्म और नैतिक आचरण का पालन कराना।
  • चाणक्य राजनीतिशास्त्र के प्रसिद्ध ग्रन्थ 'कौटिलीय अर्थशास्त्र' के रचयिता एवं चन्द्रगुप्त मौर्य के प्रधान मन्त्री थे।
  • चाणक्य का नाम संभवत उनके गोत्र का नाम 'चणक', पिता के नाम 'चणक' अथवा स्थान का नाम 'चणक' का परिवर्तित रूप रहा होगा।
  • अर्थशास्त्र राजनीति का उत्कृट ग्रन्थ है, जिसने परवर्ती राजधर्म को प्रभावित किया।
  • चाणक्य नाम से प्रसिद्ध एक नीतिग्रन्थ 'चाणक्यनीति' भी प्रचलित है।
  • चाणक्य ने अर्थशास्त्र में वार्ता ( अर्थशास्त्र ) तथा दण्डनीति ( राज्यशासन ) के साथ आन्वीक्षिकी (तर्कशास्त्र) तथा त्रयी (वैदिक ग्रन्थों) पर भी काफ़ी बल दिया है।
  • अर्थशास्त्र के अनुसार यह राज्य का धर्म है कि वह देखे कि प्रजा वर्णाश्रम धर्म का 'उचित पालन करती है कि नहीं।<balloon title="'कौटिल्य' और 'अर्थशास्त्र'" style="color:blue">*</balloon>
  • तक्षशिला की प्रसिद्धि महान अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिल के मौर्य साम्राज्य की नींव डाली।
  • आयुर्वेद के महान विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी।