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१२:०७, ८ जनवरी २०११ के समय का अवतरण
विवरण | रसखान के दोहे महावन, मथुरा |
दिनांक | वर्ष - 2009 |
प्रयोग अनुमति | © brajdiscovery.org |
अन्य विवरण | हिन्दी साहित्य में कृष्ण भक्त तथा रीतिकालीन कवियों में रसखान का महत्त्वपूर्ण स्थान है। 'रसखान' को रस की ख़ान कहा जाता है। इनके काव्य में भक्ति, श्रृगांर रस दोनों प्रधानता से मिलते हैं। रसखान कृष्ण भक्त हैं और प्रभु के सगुण और निर्गुण निराकार रूप के प्रति श्रद्धालु हैं। रसखान के सगुण कृष्ण लीलाएं करते हैं। |
फ़ाइल का इतिहास
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दिनांक/समय | अंगूठाकार प्रारूप | आकार | प्रयोक्ता | टिप्पणी | |
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वर्तमान | १२:४५, २० सितम्बर २००९ | १,२०० × ९०२ (२५० KB) | जन्मेजय (चर्चा | योगदान) |
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