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==जतीपुरा / Jatipura==
 
==जतीपुरा / Jatipura==
यह [[वल्लभ संप्रदाय|बल्लभ सम्प्रदाय]] का प्रमुख केन्द्र है । यहीं [[गोवर्धन]] पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं [[अष्टछाप कवि|अष्टछाप]] के कवि [[सूरदास]] आदि कीर्तन करते थे । [[वल्लभाचार्य|श्रीबल्लभाचार्य]] जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है ।
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यह [[वल्लभ संप्रदाय|बल्लभ सम्प्रदाय]] का प्रमुख केन्द्र है । यहीं [[गोवर्धन]] पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं [[अष्टछाप]] के कवि [[सूरदास]] आदि कीर्तन करते थे । [[वल्लभाचार्य|श्रीबल्लभाचार्य]] जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है ।
 
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१०:४१, ६ सितम्बर २००९ का अवतरण



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जतीपुरा / Jatipura

यह बल्लभ सम्प्रदाय का प्रमुख केन्द्र है । यहीं गोवर्धन पर श्रीनाथजी का प्राचीन मन्दिर था, जो अब जीर्ण-शीर्ण अवस्था में है । यहीं अष्टछाप के कवि सूरदास आदि कीर्तन करते थे । श्रीबल्लभाचार्य जी एवं विट्ठलनाथजी की यहां बैठकें हैं । बल्लभ सम्प्रदाय के यहां अनेक मन्दिर हैं । जतीपुरा का नाम गोपालपुरा था, यहीं श्रीगिर्राज का मुखारबिन्द है । श्याम, ढाक, हरजी कुण्ड, ताजबीबी का चबूतरा, गोविन्द स्वामी की कदम्ब खण्डी, बिलछू कुण्ड जहां लीला स्थल है वहीं बल्लभ सम्प्रदाय भक्तों के ऐतिहासिक स्थान भी है । जतीपुरा से आगे गुलाल कुण्ड, गाठौली, टोड का घना है ।
साँचा:गोवर्धन-दर्शनीय-स्थल