"जुगलकिशोर जी का मन्दिर" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
पंक्ति ६: | पंक्ति ६: | ||
[[category:दर्शनीय-स्थल]] | [[category:दर्शनीय-स्थल]] | ||
[[श्रेणी:कोश]] | [[श्रेणी:कोश]] | ||
+ | [[चित्र:jugal-kishor-temple-1.jpg|जुगलकिशोर जी का मन्दिर, [[वृन्दावन]]|thumb|200px|left]] | ||
पुरानी शृंखला में यह चौथा है। यह [[केशी घाट]] के पास स्थित है । इसका निर्माण [[जहाँगीर]] के समय में सन् 1627 ई० में हुआ था । इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। यह चौहान ठाकुर था । परन्तु यह भी असंभव नहीं है कि वह [[गोपी नाथ जी मन्दिर|गोपीनाथ]] मन्दिर के निर्माता रायसिल का बड़ा भाई रहा हो । इसका जगमोहन दूसरे मन्दिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है,द्वार पूर्व को है । किन्तु उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं । गर्भग्रह नष्ट हो चुका था । [[ग्राउस]] ने मन्दिर का जीर्णोध्दार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रूपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफाई होती रहे । कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका दुरूपयोग होने लगा और यह पशुघर बन गया था। | पुरानी शृंखला में यह चौथा है। यह [[केशी घाट]] के पास स्थित है । इसका निर्माण [[जहाँगीर]] के समय में सन् 1627 ई० में हुआ था । इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। यह चौहान ठाकुर था । परन्तु यह भी असंभव नहीं है कि वह [[गोपी नाथ जी मन्दिर|गोपीनाथ]] मन्दिर के निर्माता रायसिल का बड़ा भाई रहा हो । इसका जगमोहन दूसरे मन्दिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है,द्वार पूर्व को है । किन्तु उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं । गर्भग्रह नष्ट हो चुका था । [[ग्राउस]] ने मन्दिर का जीर्णोध्दार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रूपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफाई होती रहे । कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका दुरूपयोग होने लगा और यह पशुघर बन गया था। |
०५:०९, ५ सितम्बर २००९ का अवतरण
जुगलकिशोर जी मन्दिर / Jugal Kishor Temple
पुरानी शृंखला में यह चौथा है। यह केशी घाट के पास स्थित है । इसका निर्माण जहाँगीर के समय में सन् 1627 ई० में हुआ था । इसका निर्माणकर्त्ता नानकरन था। यह चौहान ठाकुर था । परन्तु यह भी असंभव नहीं है कि वह गोपीनाथ मन्दिर के निर्माता रायसिल का बड़ा भाई रहा हो । इसका जगमोहन दूसरे मन्दिरों के जगमोहन की अपेक्षा कुछ बड़ा है जो 25 वर्गफीट का है,द्वार पूर्व को है । किन्तु उत्तर और दक्षिण में भी छोटे-छोटे द्वार हैं । गर्भग्रह नष्ट हो चुका था । ग्राउस ने मन्दिर का जीर्णोध्दार कराया था। नगरपालिका ने ऊपर के कमरे को एक रूपया मासिक किराये पर उठा दिया था जिससे कि कोई उस पर अनाधिकार न कर ले और उस की सफाई होती रहे । कुछ ही दिनों बाद नये कलक्टर के आते ही इसका दुरूपयोग होने लगा और यह पशुघर बन गया था।