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==तक्षशिला==
 
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तक्ष नाम के राजा (जिसे तक्ष खण्ड भी कहा गया है) से तक्षशिला नाम हुआ । जिसका [[संस्कृत]] अर्थ होता है "राजा तक्ष के लिए " [[रामायण]] के अनुसार तक्ष, भरत और माण्डवी का पुत्र था ।  ईसा पूर्व 5वीं शती  में तक्षशिला मुख्य शिक्षा केन्द्र बन चुका था । इसके विश्वविद्यालय होने पर कुछ विवाद हैं, जोकि नालन्दा विश्वविद्यालय को लेकर नहीं है जिसका स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालय की तरह ही माना जाता हैं । 5वीं शताब्दी की जातक कथाओ में भी इसका उल्लेख है । तक्षशिला की प्रसिद्धि महान् अर्थशास्त्री [[चाणक्य]] ([[विष्णुगुप्त]]) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था । और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिलके [[मौर्य]] साम्राज्य की नींव डाली । [[आयुर्वेद]] के महान् विद्वान [[चरक]] ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी । [[पाटलिपुत्र]] से तक्षशिला जाने वाला मुख्य व्यापारिक मार्ग [[मथुरा]] से गुजरता था । [[बौद्ध]] धर्म की महायान शाखा का विकास तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही होने के उल्लेख मिलते है ।
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तक्ष नाम के राजा (जिसे तक्ष खण्ड भी कहा गया है) से तक्षशिला नाम हुआ । जिसका [[संस्कृत]] अर्थ होता है "राजा तक्ष के लिए " [[रामायण]] के अनुसार तक्ष, भरत और माण्डवी का पुत्र था ।  ईसा पूर्व 5वीं शती  में तक्षशिला मुख्य शिक्षा केन्द्र बन चुका था । इसके विश्वविद्यालय होने पर कुछ विवाद हैं, जोकि नालन्दा विश्वविद्यालय को लेकर नहीं है जिसका स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालय की तरह ही माना जाता हैं । 5वीं शताब्दी की जातक कथाओ में भी इसका उल्लेख है । तक्षशिला की प्रसिद्धि महान् अर्थशास्त्री [[चाणक्य]] (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था । और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिलके [[मौर्य]] साम्राज्य की नींव डाली । [[आयुर्वेद]] के महान् विद्वान [[चरक]] ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी । [[पाटलिपुत्र]] से तक्षशिला जाने वाला मुख्य व्यापारिक मार्ग [[मथुरा]] से गुजरता था । [[बौद्ध]] धर्म की महायान शाखा का विकास तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही होने के उल्लेख मिलते है ।

०३:०५, १२ अगस्त २००९ का अवतरण

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तक्षशिला

तक्ष नाम के राजा (जिसे तक्ष खण्ड भी कहा गया है) से तक्षशिला नाम हुआ । जिसका संस्कृत अर्थ होता है "राजा तक्ष के लिए " रामायण के अनुसार तक्ष, भरत और माण्डवी का पुत्र था । ईसा पूर्व 5वीं शती में तक्षशिला मुख्य शिक्षा केन्द्र बन चुका था । इसके विश्वविद्यालय होने पर कुछ विवाद हैं, जोकि नालन्दा विश्वविद्यालय को लेकर नहीं है जिसका स्वरूप आधुनिक विश्वविद्यालय की तरह ही माना जाता हैं । 5वीं शताब्दी की जातक कथाओ में भी इसका उल्लेख है । तक्षशिला की प्रसिद्धि महान् अर्थशास्त्री चाणक्य (विष्णुगुप्त) के कारण भी है जो कि यहाँ प्राध्यापक था । और जिसने चन्द्रगुप्त के साथ मिलके मौर्य साम्राज्य की नींव डाली । आयुर्वेद के महान् विद्वान चरक ने भी तक्षशिला में ही शिक्षा ग्रहण की थी । पाटलिपुत्र से तक्षशिला जाने वाला मुख्य व्यापारिक मार्ग मथुरा से गुजरता था । बौद्ध धर्म की महायान शाखा का विकास तक्षशिला विश्वविद्यालय में ही होने के उल्लेख मिलते है ।