"त्रेता युग" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[category' to '[[Category') |
छो (Text replace - 'हजार' to 'हज़ार') |
||
पंक्ति २: | पंक्ति २: | ||
{{Incomplete}} | {{Incomplete}} | ||
==त्रेता युग / [[:en:Treta Yug|Treta Yug]]== | ==त्रेता युग / [[:en:Treta Yug|Treta Yug]]== | ||
− | *दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे | + | *दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है। |
*इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है। | *इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है। | ||
*[[स्वायंभुव|मनु]] और [[सतरूपा]] के दो पुत्र [[प्रियव्रत]] और [[उत्तानपाद]] इसी युग में हुए। | *[[स्वायंभुव|मनु]] और [[सतरूपा]] के दो पुत्र [[प्रियव्रत]] और [[उत्तानपाद]] इसी युग में हुए। |
०७:२०, ११ मई २०१० के समय का अवतरण
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
त्रेता युग / Treta Yug
- दूसरे युग त्रेता की अवधि बारह लाख छियानवे हज़ार वर्ष मानी जाती है।
- इस युग का आरंभ कार्तिक शुक्ल नौमी से होता है।
- मनु और सतरूपा के दो पुत्र प्रियव्रत और उत्तानपाद इसी युग में हुए।
- ये पृथ्वी के सर्वप्रथम राजा थे। श्रीराम और परशुराम ने इसी युग में अवतार लिया।
- इस युग में पुण्य अधिक होता है। मनुष्य की आयु अधिक होती है।