"दशमी" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
व्यवस्थापन (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - "गुरू" to "गुरु") |
|||
पंक्ति ४: | पंक्ति ४: | ||
*इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है। | *इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है। | ||
*इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं। | *इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं। | ||
− | *शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा | + | *शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरुवार को सिद्धिदा होती है। |
*[[आश्विन]] मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है। | *[[आश्विन]] मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है। | ||
*दशमी की दिशा उत्तर है। | *दशमी की दिशा उत्तर है। |
०८:४४, २७ दिसम्बर २०११ के समय का अवतरण
दशमी / Dashami
- सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब 109° से 120° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की दशमी और 289° से 300° तक कृष्ण दशमी रहती है।
- इस ‘पूर्णा’ संज्ञक तिथि के स्वामी यम हैं, जिसका विशेष नाम ‘धर्मिणी’ है।
- इस तिथि को सामान्य रूप से ‘द्रव्यदा’ भी कहते हैं।
- शनिवार को दशमी मृत्युदा तथा गुरुवार को सिद्धिदा होती है।
- आश्विन मास में दशमी मास शून्य संज्ञक होने से शुभ कार्यों में वर्जित होती है।
- दशमी की दिशा उत्तर है।
- भविष्य पुराण के अनुसार दशमी तिथि को यमराज (काल) की पूजा करने से आरोग्य तथा दीर्घायु की प्राप्ति होती है।
- दशमी तिथि को शिव जी का वास अनुकूल न होने से शिव पूजन वर्जित है।
- चन्द्रमा की इस दसवीं कला का अमृत पान वायु देव करते हैं।
- विशेष – दशमी तिथि मंगल ग्रह की जन्म तिथि है। इसलिये शुभ कार्यों में वर्जित माना जाता है।
बाहरी कड़ियाँ
संबंधित लेख
|