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०१:५३, ५ मार्च २०१० का अवतरण


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दावानल कुण्ड / Davanal Kund

कालिय नाग दमन के दिन गोप, गोपी एवं कृष्ण-बलराम अपने निवास स्थल छट्टीकरा में रात हो जाने के कारण न जा सके। उन्होंने विष मिश्रित कालियदह से कुछ दूर हटकर पूर्व दिशा में एक स्वच्छ मीठे सरोवर के पास जाकर जलपान किया और वहीं पर रात में विश्राम किया। दुष्ट कंस के अनुचरों ने सुयोग देखकर इस वन के चारों तरफ आग लगा दी। थोड़ी ही देर में भीषण आग सारे वन में प्रज्वलित हो उठी। कृष्ण ने यहाँ भी सबको अपने नेत्र बन्द करने के लिए कहा। नेत्र बन्द करते ही उस भीषण दावानल को सुशीतल जल की भाँति पान कर लिया। जहाँ यह लीला हुई थी उस सरोवर को दावानल कुण्ड कहते हैं।



साँचा:कुण्ड