दिल्ली

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दिल्‍ली / Delhi

महाभारत काल में पाण्डवों द्वारा बसाया गया इन्द्रप्रस्थ नगर (दिल्ली) आज हमारे देश का हृदय कहलाता है। पर्यटकों के आकर्षण के साथ-साथ यह हमारे देश का मुख्य राजनीतिक केन्द्र भी है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 230 मीटर तथा फैलाव 1483 वर्ग कि.मी. क्षेत्र है। यहाँ के ऐतिहासिक स्थल तथा रमणीय स्थल अपने आप में विशेष हैं। पर्यटन विकास के उद्वेश्य से यह आगरा और जयपुर से जुडा है।


इतिहास के अनुसार दिल्ली को तत्कालीन शासकों ने इसके स्वरूप में कई बार परिवर्तन किया। पुरानी दिल्ली की स्थापना 17 वीं शताब्दी में मुगल बादशाह शाहजहाँ द्वारा की गई थी, वहीं नई दिल्ली जिसका निर्माण अंग्रेजों द्वारा करवाया गया था। प्राचीनकाल से पुरानी दिल्ली पर अनेक राजाओं एवं सम्राटों ने राज्य किया हैं तथा समय-समय पर इसका नाम भी परिवर्तित किया जाता रहा था। दिल्ली में कई राजाओं/सम्राटों के साम्राज्य के उदय तथा पतन के साक्ष्य आज भी विद्यमान हैं। सही मायने में दिल्ली हमारे देश के भविष्य, भूतकाल एवं वर्तमान परिस्थितियों का मेल है। दिल्ली भारत की राष्ट्रीय राजधानी है। इसमें नई दिल्ली सम्मिलित है जो कि ऐतिहासिक पुरानी दिल्ली के बाद बसी थी। यहाँ केन्द्र सरकार की कई प्रशासन संस्थायें हैं। औपचारिक रूप से नई दिल्ली भारत की राजधानी है। 1483 वर्ग किलोमीटर (572 वर्ग मील) में फैली दिल्ली भारत का दूसरा तथा दुनिया का आठवां सबसे बड़ा महानगर है। यहाँ की जनसंख्या लगभग १.४ करोड है। यहाँ बोली जाने वाली मुख्य भाषायें है: हिन्दी, उर्दू, पंजाबी, और अंग्रेज़ी।


भारत की राजधानी दिल्ली के संबंध विद्वानों का विश्वास है कि यहीं पर महाभारत काल में पांडवों की राजधानी इंद्रप्रस्थ थी। ऐतिहासिक दिल्ली का निर्माण तोमर नरेश अनंगपाल ने 11वीं शताब्दी में कराया था। उसने जहां इस समय कुतुबमीनार हे वहां पर एक लाल क़िला भी बनवाया था। बाद में अजमेर के चौहान राजाओं ने इस पर कब्जा किया। लेकिन 1193 ई0 में मौहम्मद गौरी ने पृथ्वीराज चौहान से इसे छीनकर दिल्ली में हिंदू शासन का अंत कर दिया। 1193 ई0 से 1857 ई0 के थोड़े से अंतराल को छोड़कर मुस्लिम शासक यहां से राज्य करते रहे। कुछ समय के लिए बाबर, अकबर और जहाँगीर ने आगरा को अपनी राजधानी बनाया था। इस लंबी अवधि में दिल्ली लूटी भी गई। 1398 ई0 में तैमूरलंग ने, 1739 ई0 में नादिरशाह ने और 1757 ई0 में अहमदशाह अब्दाली ने आक्रमण किया, शहर को खूब लूटा और हजारों व्यक्तियों को क़त्ल कर डाला। 1803 ई0 में दिल्ली पर अंगेजों का अधिकार हो गया और मुगल बादशाह नाम के शासक रह गए। 1858 ई0 में बहादुरशाह के रंगून में कैद हो जाने के बाद नाममात्र की यह बादशाहत भी जाती रही। अंगेजों ने पहले अपने भारतीय साम्राज्य की राजधानी कलकत्ता को बनाया था। 1911 ई0 में वीं राजधानी दिल्ली ले आए। अब इस राजधानी क्षेत्र का शासन प्रबंध केंद्र-शासित प्रदेश के रूप में उपराज्यपाल के अधीन होता है। दिल्ली का बराबर विस्तार हो रहा है।


इसके दक्षिण पश्चिम में अरावली पहाड़ियां और पूर्व में यमुना नदी है, जिसके किनारे यह बसा है। यह प्राचीन समय में गंगा के मैदान से होकर जानेवाले वाणिज्य पथों के रास्ते में पड़ने वाला मुख्य पड़ाव था। यमुना नदी के किनारे स्थित इस नगर का गौरवशाली पौराणिक इतिहास है। यह भारत का अति प्राचीन नगर है। इसके इतिहास की शुरुआत सिन्धु घाटी सभ्यता से जुड़ी हुई है। हरियाणा के आसपास के क्षेत्रों में हुई खुदाई से इस बात के प्रमाण मिले हैं। महाभारत काल में इसका नाम इन्द्रप्रस्थ था। दिल्ली सल्तनत के उत्थान के साथ ही दिल्ली एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक शहर के रूप में उभरी। यहाँ कई प्राचीन एवं मध्यकालीन इमारतों तथा उनके अवशेषों को देखा जा सकता है। 1639 में मुग़ल बादशाह शाहजहाँ ने दिल्ली में ही एक चाहरदीवारी से घिरे शहर का निर्माण करवाया जो कि 1679 से 1857 तक मुगल साम्राज्य की राजधानी रही।


18वीं एवं 19वीं शताब्दी में ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने लगभग पूरे भारत को अपने कब्जे में ले लिया था। इन लोगों ने कोलकाता को अपनी राजधानी बनाया। 1911 में अंग्रेजी सरकार ने फैसला किया कि राजधानी को वापस दिल्ली लाया जाए। इसके लिए पुरानी दिल्ली के दक्षिण में एक नए नगर नई दिल्ली का निर्माण प्रारम्भ हुआ। अंग्रेजों से 1947 में स्वतंत्रता प्राप्त कर नई दिल्ली को भारत की राजधानी घोषित किया गया । स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात दिल्ली में विभिन्न क्षेत्रों के लोगों का प्रवास हुआ इससे दिल्ली के स्वरूप में आमूल परिवर्तन हुआ। विभिन्न प्रान्तों, धर्मों एवं जातियों के लोगों के दिल्ली में बसने के कारण दिल्ली का शहरीकरण तो हुआ ही यहाँ एक मिश्रित संस्कृति ने भी जन्म लिया। आज दिल्ली भारत का एक प्रमुख राजनैतिक, सांस्कृतिक एवं वाणिज्यिक केन्द्र है।