देवसूरि

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
Maintenance (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:३६, ७ अगस्त २०१० का अवतरण (Text replace - '{{जैन धर्म2}}' to '{{जैन धर्म}}')
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

आचार्य देवसूरि / Acharya Devsuri

  • देवसूरि 'वादि' उपाधि से विभूषित अभिहित हैं।
  • इनके 'प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार' और उसकी व्याख्या 'स्याद्वादरत्नाकर' ये दो तर्कग्रंथ प्रसिद्ध हैं।
  • इन दोनों पर आचार्य माणिक्यनन्दि के 'परीक्षामुख' का शब्दश: और अर्थश: पूरा प्रभाव है।
  • इसके 6 परिच्छेद तो 'परीक्षामुख' की तरह ही हैं और अन्तिम दो परिच्छेद (नयपरिच्छेद तथा वादपरिच्छेद) परीक्षामुख से ज़्यादा हैं।
  • पर उन पर भी परीक्षामुख<balloon title="परि0 6/73, 74" style=color:blue>*</balloon> के सूत्रों का प्रभाव लक्षित होता है।

सम्बंधित लिंक