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द्वादशी / Dvadashi
- सूर्य से चन्द्र का अन्तर जब तक 133° से 144° तक होता है, तब शुक्ल पक्ष की द्वादशी और 313° से 324° की समाप्ति तक कृष्ण द्वादशी रहती है।
- इस बारहवीं चान्द्र तिथि के स्वामी विष्णु हैं।
- द्वादशी का विशेष नाम ‘यशोबला’ है। इसकी साधारण संज्ञा ‘भद्रा’ है।
- द्वादशी सोमवार तथा शुक्रवार को मृत्युदा तथा बुधवार को सिद्धिदा होती है। रविवार को द्वादशी होने से 'क्रकच' तथा 'दग्ध' योगों का निर्माण होने से यह तिथि मध्यम फल देने वाली हो जाती है।
- द्वादशी की दिशा नैऋत्य है।
- दोनों पक्षों की द्वादशी को शिव का वास शुभ स्थिति में होने से इस तिथि में शिव पूजन शुभ होता है।
- द्वादशी की अमृत कला पान 'पितृगण' करते हैं।
- विशेष – द्वादशी तिथि बुध ग्रह की जन्म तिथि है।
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