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[[मथुरा]] या मधुपुरी के आसपास [[गोकुल]] और [[नंदगांव]] में रहनेवाले आभीर गोपों के मुखिया थे। इनकी पत्नी [[यशोदा]] ने बचपन में श्री[[कृष्ण]] को पाला था। कृष्ण की बाललीला इन्हीं के यहां हुई। एक बार [[यमुना]] में स्नान करते समय इन्हें [[वरूण]] के गणों ने और एक बार अजगर ने पकड़ लिया था। दोनों बार श्रीकृष्ण ने इन्हें बचाया। सती ने [[महामाया]] के रूप में इनके घर जन्म लिया जो [[कंस]] के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। नंद [[इंद्र]] की पूजा का उत्सव मनाया करते थे। श्रीकृष्ण ने इसे बंद करके कार्तिक मास में अन्नकूट का उत्सव आंरभ कराया। | [[मथुरा]] या मधुपुरी के आसपास [[गोकुल]] और [[नंदगांव]] में रहनेवाले आभीर गोपों के मुखिया थे। इनकी पत्नी [[यशोदा]] ने बचपन में श्री[[कृष्ण]] को पाला था। कृष्ण की बाललीला इन्हीं के यहां हुई। एक बार [[यमुना]] में स्नान करते समय इन्हें [[वरूण]] के गणों ने और एक बार अजगर ने पकड़ लिया था। दोनों बार श्रीकृष्ण ने इन्हें बचाया। सती ने [[महामाया]] के रूप में इनके घर जन्म लिया जो [[कंस]] के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। नंद [[इंद्र]] की पूजा का उत्सव मनाया करते थे। श्रीकृष्ण ने इसे बंद करके कार्तिक मास में अन्नकूट का उत्सव आंरभ कराया। | ||
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१९:३९, १५ फ़रवरी २०१० का अवतरण
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नंद / Nand
मथुरा या मधुपुरी के आसपास गोकुल और नंदगांव में रहनेवाले आभीर गोपों के मुखिया थे। इनकी पत्नी यशोदा ने बचपन में श्रीकृष्ण को पाला था। कृष्ण की बाललीला इन्हीं के यहां हुई। एक बार यमुना में स्नान करते समय इन्हें वरूण के गणों ने और एक बार अजगर ने पकड़ लिया था। दोनों बार श्रीकृष्ण ने इन्हें बचाया। सती ने महामाया के रूप में इनके घर जन्म लिया जो कंस के पटकने पर हाथ से छूट गई थी। कहते हैं, विन्ध्याचल में इसी देवी का निवास है। नंद इंद्र की पूजा का उत्सव मनाया करते थे। श्रीकृष्ण ने इसे बंद करके कार्तिक मास में अन्नकूट का उत्सव आंरभ कराया।