पंचसंग्रह टीका
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पंचसंग्रहटीका
मूल पंचसंग्रह नामक यह मूलग्रन्थ प्राकृत भाषा में है। इस पर तीन संस्कृत-टीकाएँ हैं।
- श्रीपालसुत डड्ढा विरचित पंचसंग्रह टीका,
- आचार्य अमितगति रचित संस्कृत-पंचसंग्रह,
- सुमतकीर्तिकृत संस्कृत-पंचसंग्रह।
- पहली टीका दिगम्बर प्राकृत पंचसंग्रह का संस्कृत-अनुष्टुपों में परिवर्तित रूप है। इसकी श्लोक संख्या 1243 है। कहीं कहीं कुछ गद्यभाग भी पाया जाता है, जो लगभग 700 श्लोक प्रमाण है। इस तरह यह लगभग 2000 श्लोक प्रमाण है। यह 5 प्रकरणों का संग्रह है। वे 5 प्रकरण निम्न प्रकार हैं-
- जीवसमास,
- प्रकृतिसमुत्कीर्तन,
- कर्मस्तव,
- शतक और
- सप्ततिका।
- इसी तरह अन्य दोनों संस्कृत टीकाओं में भी समान वर्णन है।
- विशेष यह है कि आचार्य अमितगति कृत पंचसंग्रह का परिमाण लगभग 2500 श्लोक प्रमाण है। तथा सुमतकीर्ति कृत पंचसंग्रह अति सरल व स्पष्ट है।
- इस तरह ये तीनों टीकाएँ संस्कृत में लिखी गई हैं और समान होने पर भी उनमें अपनी अपनी विशेषताएँ पाई जाती हैं।
- कर्म साहित्य के विशेषज्ञों को इन टीकाओं का भी अध्ययन करना चाहिए।