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[[मथुरा]] के निकट महाकवि [[सूरदास]] का निवासस्थान । इनका जन्म रूनकता ग्राम में हुआ था किंतु कहा जाता है कि ये प्राय: पारासौली ही में रहते थे और यहीं इन्होंने अपनी अधिकांश अमृतमयी रचनाएं की थी।  श्री [[वल्लभाचार्य]] के मत में पारासौली ही मूल [[वृन्दावन]] है। कहा जाता है कि पारासौली शब्द परम रासस्थली से बिगड़कर बना है।
 
[[मथुरा]] के निकट महाकवि [[सूरदास]] का निवासस्थान । इनका जन्म रूनकता ग्राम में हुआ था किंतु कहा जाता है कि ये प्राय: पारासौली ही में रहते थे और यहीं इन्होंने अपनी अधिकांश अमृतमयी रचनाएं की थी।  श्री [[वल्लभाचार्य]] के मत में पारासौली ही मूल [[वृन्दावन]] है। कहा जाता है कि पारासौली शब्द परम रासस्थली से बिगड़कर बना है।

०४:४४, १५ जुलाई २००९ का अवतरण

पारसौली / Parsauli

मथुरा के निकट महाकवि सूरदास का निवासस्थान । इनका जन्म रूनकता ग्राम में हुआ था किंतु कहा जाता है कि ये प्राय: पारासौली ही में रहते थे और यहीं इन्होंने अपनी अधिकांश अमृतमयी रचनाएं की थी। श्री वल्लभाचार्य के मत में पारासौली ही मूल वृन्दावन है। कहा जाता है कि पारासौली शब्द परम रासस्थली से बिगड़कर बना है।