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इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है । | इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है । |
०७:३७, २१ फ़रवरी २०१० का अवतरण
बंगाली घाट
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मार्ग स्थिति: | यह मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है । |
आस-पास: | द्वारिकाधीश मन्दिर, सती बुर्ज, विश्राम घाट, स्वामी घाट |
पुरातत्व: | निर्माणकाल- 1600 ई. |
वास्तु: | |
स्वामित्व: | उत्तर प्रदेश सरकार |
प्रबन्धन: | |
स्त्रोत: | इंटैक |
अन्य लिंक: | |
अन्य: | |
सावधानियाँ: | |
मानचित्र: | |
अद्यतन: | 2009 |
बंगाली घाट / Bangali Ghat
अस्ति क्षेत्रं परं गुह्म तिन्दुकं नाम क्रमत:।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! मम लोके महीयते ।।[१]
यह भी गुह्म तीर्थ है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री चैतन्य महाप्रभु ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं ।
इतिहास
कहा जाता है कि इसका निर्माण वृन्दावन के गोविन्द देव मन्दिर के गोसाईं ने करवाया था । यहाँ मुख्य मार्ग के सामने बंगाली वैष्णवों के प्रमुख का निवास है ।
वास्तु
इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है ।
टीका-टिपण्णी
- ↑ सभी–आदिवाराह पुराण