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यह भी [[गुह्म तीर्थ]] है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री [[चैतन्य महाप्रभु]] ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । '''आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं''' ।
 
यह भी [[गुह्म तीर्थ]] है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री [[चैतन्य महाप्रभु]] ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । '''आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं''' ।
 
==इतिहास==
 
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कहा जाता है कि इसका निर्माण [[वृंदावन]] के [[गोविन्द देव जी का मंदिर|गोविन्द देव मन्दिर]] के गोसाईं ने करवाया था । यहाँ मुख्य मार्ग के सामने बंगाली वैष्णवों के प्रमुख का निवास है ।  
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कहा जाता है कि इसका निर्माण [[वृन्दावन]] के [[गोविन्द देव जी का मंदिर|गोविन्द देव मन्दिर]] के गोसाईं ने करवाया था । यहाँ मुख्य मार्ग के सामने बंगाली वैष्णवों के प्रमुख का निवास है ।  
 
==वास्तु==
 
==वास्तु==
 
इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है ।
 
इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है ।

०७:३७, २१ फ़रवरी २०१० का अवतरण

स्थानीय सूचना
बंगाली घाट

Ghats-of-Yamuna-5.jpg
मार्ग स्थिति: यह मथुरा के परिक्रमा मार्ग पर स्थित है ।
आस-पास: द्वारिकाधीश मन्दिर, सती बुर्ज, विश्राम घाट, स्वामी घाट
पुरातत्व: निर्माणकाल- 1600 ई.
वास्तु:
स्वामित्व: उत्तर प्रदेश सरकार
प्रबन्धन:
स्त्रोत: इंटैक
अन्य लिंक:
अन्य:
सावधानियाँ:
मानचित्र:
अद्यतन: 2009

बंगाली घाट / Bangali Ghat

तिन्दुक तीर्थ

अस्ति क्षेत्रं परं गुह्म तिन्दुकं नाम क्रमत:।
तस्मिन् स्नातो नरो देवि ! मम लोके महीयते ।।[१]

यह भी गुह्म तीर्थ है । यहाँ स्नान करने पर भगवद् धाम की प्राप्ति होती है । पास ही में दण्डी घाट है जहाँ श्री चैतन्य महाप्रभु ने स्नान किया था और अपने नृत्य एवं संकीर्तन से सभी को मुग्ध कर दिया था । आजकल इसे बंगाली घाट भी कहते हैं

इतिहास

कहा जाता है कि इसका निर्माण वृन्दावन के गोविन्द देव मन्दिर के गोसाईं ने करवाया था । यहाँ मुख्य मार्ग के सामने बंगाली वैष्णवों के प्रमुख का निवास है ।

वास्तु

इसे बनाने में लखोरी ईंट व चूने, लाल एवं बलुआ पत्थर का इस्तेमाल किया गया है । छह बुर्जों और तीन छतरियों से इसे सुसज्जित किया गया है ।

टीका-टिपण्णी

  1. सभी–आदिवाराह पुराण

अन्य लिंक

साँचा:यमुना के घाट