मगध

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मगध Magadha

मगध

मगध प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था । आधुनिक पटना तथा गया ज़िला इसमें शामिल थे । इसकी राजधानी गिरिव्रज थी । भगवान बुद्ध के पूर्व बृहद्रथ तथा जरासंध यहाँ के प्रतिष्ठित राजा थे । अभी इस नाम से बिहार में एक प्रंमडल है - मगध प्रमंडल मगध का सर्वप्रथम उल्लेख अथर्ववेद में मिलता है । अभियान चिन्तामणि के अनुसार मगध को कीकट कहा गया है । मगध बुद्धकालीन समय में एक शक्‍तिशाली राजतन्त्रों में एक था । यह दक्षिणी बिहार में स्थित था जो कालान्तर में उत्तर भारत का सर्वाधिक शक्‍तिशाली महाजनपद बन गया । यह गौरवमयी इतिहास और राजनीतिक एवं धार्मिकता का विश्‍व केन्द्र बन गया ।

मगध महाजनपद की सीमा उत्तर में गंगा से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक, पूर्व में चम्पा से पश्‍चिम में सोन नदी तक विस्तृत थीं । मगध की प्राचीन राजधानी राजगृह थी । यह पाँच पहाड़ियों से घिरा नगर था । कालान्तर में मगध की राजधानी पाटलिपुत्र में स्थापित हुई । मगध राज्य में तत्कालीन शक्‍तिशाली राज्य कौशल, वत्स व अवन्ति को अपने जनपद में मिला लिया । इस प्रकार मगध का विस्तार अखण्ड भारत के रूप में हो गया और प्राचीन मगध का इतिहास ही भारत का इतिहास बना ।

मगध राज्य का विस्तार उत्तर में गंगा, पश्‍चिम में सोन तथा दक्षिण में जगंलाच्छादित पठारी प्रदेश तक था । पटना और गया जिला का क्षेत्र प्राचीनकाल में मगध के नाम से जाना जाता था । मगध प्राचीनकाल से ही राजनीतिक उत्थान, पतन एवं सामाजिक-धार्मिक जागृति का केन्द्र बिन्दु रहा है । मगध बुद्ध के समकालीन एक शक्‍तिकाली व संगठित राजतन्‍त्र था । कालान्तर में मगध का उत्तरोत्तर विकास होता गया और मगध का इतिहास (भारतीय संस्कृति और सभ्यता के विकास के प्रमुख स्तम्भ के रूप में) सम्पूर्ण भारतवर्ष का इतिहास बन गया । बिम्बिसार ने हर्यक वंश की स्थापना 544 ई. पू. में की । इसके साथ ही राजनीतिक शक्‍ति के रूप में बिहार का सर्वप्रथम उदय हुआ । बिम्बिसार को मगध साम्राज्य का वास्तविक संस्थापक/राजा माना जाता है । बिम्बिसार ने गिरिव्रज (राजगीर) को अपनी राजधानी बनायी । इसके वैवाहिक सम्बन्धों (कौशल, वैशाली एवं पंजाब) की नीति अपनाकर अपने साम्राज्य का विस्तार किया । यह " मगध' नामक क्षेत्र मध्य बिहार का एक भौगोलिक क्षेत्र हैं । राजनैतिक एवं प्रशासनिक मानचित्र में यह मुख्यत: मगध प्रमंडल के रुप में है । इस मगध प्रमंडल के जिले हैं- गया, औरंगाबाद, जहानाबाद, नवादा । प्रमंडल का मुख्यालय गया में ही है और यही है मगधांचल का सांस्कृति, राजनैतिक तथा व्यवसायिक केन्द्र । इस क्षेत्र में विभिन्न प्रकार की कलाएं प्राचीनकाल से ही है और यही कालांतर में कलाकारों की रोजी-रोटी तथा व्यवसाय का मुख्य साधन बनीं। हालांकि आधुनिक कलाओं, उत्पादों और व्यवसायों से पारंपरिक व्यवसाय प्रभावित जरुर हुआ है, फिर भी इन व्यवसायों एवं पारंपरिक उत्पादों का अपना महत्व एवं बाजार में पूछ भी है । इसलिए यह कहना कि " आज के पारंपरिक उद्योगों पर संकट ही संकट है' पूर्णत: उचित नहीं है । हम अब मगध क्षेत्र के पारंपरिक उद्योग से परिचित हो लें तथा इनसे जुड़े पारंपरिक व्यवसाय व्यापकता, वायपारिक घाटा लाभ, स्थानीय समस्याएं व उनके समाधान तथा अन्य तकनीकि पक्षों पर भी न डालते चलें । यहां के प्रमुख पारंपरिक उद्योगों में वस्र-उद्योग, मिष्टान्न उद्योग बांस से उत्पादित वस्तु उद्योग, पाषाण एवं काष्ठ मूर्ति उद्योग, वाद्य यंत्र उद्योग, ऊन एवं कंबल उद्योग, हस्तकला के अन्य उद्योग, शराब एवं ताड़ी उद्योग तथा गिट्टी उद्योग मुख्य हैं । उपरोक्त सभी पारंपरिक गुरु चेले वाले परंपरा चक्र से ही चलते आ रहे हैं और इसी परंपरा के तहत इसमें आवश्यक अनावश्यक रुपांतरण होते रहे हैं ।