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मधुपुरी या मधुरा के पास का एक वन जिसका स्वामी मधु नाम का दैत्य था। मधु के पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने विजित किया था। | मधुपुरी या मधुरा के पास का एक वन जिसका स्वामी मधु नाम का दैत्य था। मधु के पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने विजित किया था। | ||
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− | ततो मधुवनं नाम्ना ख्यातमत्र महीतले'<ref> [[पुराण|विष्णुपुराण]] 1,12,2-3</ref> | + | ततो मधुवनं नाम्ना ख्यातमत्र महीतले'<ref> [[पुराण|विष्णुपुराण]] 1,12,2-3</ref> |
*विष्णुपुराण से सूचित होता है कि शत्रुघ्न ने मधुवन के स्थान पर नई नगरी बसाई थी- | *विष्णुपुराण से सूचित होता है कि शत्रुघ्न ने मधुवन के स्थान पर नई नगरी बसाई थी- | ||
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*हरिवशंपुराण के अनुसार इस वन को शत्रुघ्न ने कटवा दिया था- | *हरिवशंपुराण के अनुसार इस वन को शत्रुघ्न ने कटवा दिया था- | ||
− | 'छित्वा वनं तत् सौमित्रि | + | 'छित्वा वनं तत् सौमित्रि.... <ref> [[पुराण|हरिवशंपुराण]] 1,54-55</ref> |
*पौराणिक कथा के अनुसार [[ध्रुव]] ने इसी वन में तपस्या की थी। | *पौराणिक कथा के अनुसार [[ध्रुव]] ने इसी वन में तपस्या की थी। |
०८:४१, २४ जून २००९ का अवतरण
मधुवन / Madhuvan
मधुपुरी या मधुरा के पास का एक वन जिसका स्वामी मधु नाम का दैत्य था। मधु के पुत्र लवणासुर को शत्रुघ्न ने विजित किया था।
- इस वन का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में इस प्रकार है-
'तमुवाच सहस्त्राक्षो लवणो नाम राक्षस: मधुपुत्रो मधुवने न तेऽज्ञां कुरूतेऽनघ' [१]
- विष्णुपुराण में भी यमुना तटवर्ती इस वन का वर्णन है-
'मधुसंज्ञ महापुण्यं जगाम यमुनातटम्, पुनश्च मधुसंज्ञेन दैत्यानाधिष्ठितं यत:,
ततो मधुवनं नाम्ना ख्यातमत्र महीतले'[२]
- विष्णुपुराण से सूचित होता है कि शत्रुघ्न ने मधुवन के स्थान पर नई नगरी बसाई थी-
'हत्वा च लवणं रक्षो मधुपुत्रं महाबलम्, शत्रुघ्नो मधुरां नाम पुरींयत्र चकार वै'[३]
- हरिवशंपुराण के अनुसार इस वन को शत्रुघ्न ने कटवा दिया था-
'छित्वा वनं तत् सौमित्रि.... [४]
- पौराणिक कथा के अनुसार ध्रुव ने इसी वन में तपस्या की थी।
- प्राचीन संस्कृत साहित्य में मधुवन को श्रीकृष्ण की अनेक चंचल बाल-लीलाओं की क्रीड़ास्थली बताया गया है। यह गोकुल या वृंदावन के निकट कोई वन था। आजकल मथुरा से साढ़े तीन मील दूर महोली मधुवन नामक एक ग्राम है।
पारंपरिक अनुश्रुति में मधुदैत्य की मथुरा और उसका मधुवन इसी स्थान पर थे। यहां लवणासुर की गुफा नामक एक स्थान है जिसे मधु के पुत्र लवणासुर का निवासस्थान माना जाता है।
टीका-टिप्पणी
- ↑ वाल्मीकि रामायण उत्तर0 67,13
- ↑ विष्णुपुराण 1,12,2-3
- ↑ विष्णुपुराण 1,12,4
- ↑ हरिवशंपुराण 1,54-55