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- यजुर्वेद गद्यात्मक है।
- यज्ञ में कहे जाने वाले गद्यात्मक मन्त्रों को ‘यजुस’ कहा जाता है।
- यजुर्वेद के पद्यात्मक मन्त्र ॠग्वेद या अथर्ववेद से लिये गये है।
- इनमें स्वतन्त्र पद्यात्मक मन्त्र बहुत कम हैं।
- यजुर्वेद में यज्ञों और हवनों के नियम और विधान हैं।
- यह ग्रन्थ कर्मकाण्ड प्रधान है।
- यदि ॠग्वेद की रचना सप्त-सिन्धु क्षेत्र में हुई थी तो यजुर्वेद की रचना कुरुक्षेत्र के प्रदेश में।
- इस ग्रन्थ से आर्यों के सामाजिक और धार्मिक जीवन पर प्रकाश पड़ता है।
- वर्ण-व्यवस्था तथा वर्णाश्रम की झाँकी भी इसमें है।
सम्बंधित लिंक
श्रुतियां |
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| उपनिषद | | ॠग्वेदीय उपनिषद | | | यजुर्वेदीय उपनिषद |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय उपनिषद | | | अथर्ववेदीय उपनिषद | | | | | ॠग्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | | अथर्ववेदीय ब्राह्मण ग्रन्थ | | |
सूत्र-ग्रन्थ | | ॠग्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | यजुर्वेदीय सूत्र-ग्रन्थ |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय सूत्र-ग्रन्थ | | | अथर्ववेदीय सूत्र-ग्रन्थ | |
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श्रुतियां |
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| शाखा | | शाखा | | | मन्त्र-संहिता | | | आरण्यक | | |
प्रातिसाख्य एवं अनुक्रमणिका | | ॠग्वेदीय प्रातिसाख्य | | | यजुर्वेदीय प्रातिसाख्य |
शुक्ल यजुर्वेदीय | | | कृष्ण यजुर्वेदीय | |
| | सामवेदीय प्रातिसाख्य | |
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उपवेद और वेदांग |
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| उपवेद |
| | वेदांग |
कल्प | | | शिक्षा | | | व्याकरण | | | निरुक्त्त | | | छन्द | | | ज्योतिष | |
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स्मृति |
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