रजक वध

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रजक वध टीला / Rajak Vadh Tila

  • मथुरापुरी भ्रमण करते समय यहीं पर श्रीकृष्ण और बलदेवजी ने एक धोबी को देखा।
  • वह कंस के वस्त्रों को धोकर रंगने का भी काम करता था।
  • श्रीकृष्ण और बलदेव ने उसके पास सुन्दर-सुन्दर वस्त्रों को देखकर उनमें से अपने लिए उपयुक्त वस्त्रों को माँगा। किन्तु, रजक ने श्रीकृष्ण-बलराम का उपहास करते हुए वस्त्रों को देने के लिए मना किया।
  • उसके व्यंग्य भरे उपहास को सुनकर श्रीकृष्ण ने सबके देखते ही देखते पलक झपकते ही अपने हाथों से उसका सिर उड़ा दिया और उसे सुन्दर गति प्रदान की। कुछ और आगे बढ़ने पर गोकर्णेश्वर महादेव का दर्शन होता है।