"वरुण" के अवतरणों में अंतर
नेविगेशन पर जाएँ
खोज पर जाएँ
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - 'वरूण' to 'वरुण') |
|||
(५ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के ६ अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति १: | पंक्ति १: | ||
− | {{menu}} | + | {{menu}} |
− | == | + | ==वरुण / [[:en:Varun|Varun]]== |
− | *सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर राजसूय-यज्ञ जलाधीश | + | *सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर राजसूय-यज्ञ जलाधीश वरुण ने ही किया था। |
− | * | + | *वरुण सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं। |
− | * | + | *वरुण पश्चिम दिशा के लोकपाल और जलों के अधिपति हैं। |
*पश्चिम समुद्र-गर्भ में इनकी रत्नपुरी विभावरी है। | *पश्चिम समुद्र-गर्भ में इनकी रत्नपुरी विभावरी है। | ||
− | * | + | *वरुण का मुख्य अस्त्र [[अस्त्र शस्त्र|पाश]] है। |
− | * | + | *वरुण के पुत्र पुष्कर इनके दक्षिण भाग में सदा उपस्थित रहते हैं। |
− | *अनावृष्टि के समय भगवान | + | *अनावृष्टि के समय भगवान वरुण की उपासना प्राचीन काल से होती है। ये जलों के स्वामी, जल के निवासी हैं। |
− | *श्रुतियों में | + | *श्रुतियों में वरुण की स्तुतियाँ हैं। |
*कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज [[इन्द्र]] का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है। | *कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज [[इन्द्र]] का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है। | ||
− | * | + | *वरुण, [[कुबेर]], [[यमराज|यम]] आदि लोकपाल कारक-कोटि के हैं। |
− | * | + | *वरुण भगवान के ही स्वरूप हैं। |
− | + | [[en:Varun]] | |
− | [[ | + | [[Category: कोश]] |
− | [[ | + | [[Category:भगवान-अवतार]] |
− | [[ | + | [[Category:पौराणिक]] |
+ | __INDEX__ |
०२:०१, ४ अप्रैल २०१० के समय का अवतरण
वरुण / Varun
- सर्वप्रथम समस्त सुरासुरों को जीत कर राजसूय-यज्ञ जलाधीश वरुण ने ही किया था।
- वरुण सम्पूर्ण सम्राटों के सम्राट हैं।
- वरुण पश्चिम दिशा के लोकपाल और जलों के अधिपति हैं।
- पश्चिम समुद्र-गर्भ में इनकी रत्नपुरी विभावरी है।
- वरुण का मुख्य अस्त्र पाश है।
- वरुण के पुत्र पुष्कर इनके दक्षिण भाग में सदा उपस्थित रहते हैं।
- अनावृष्टि के समय भगवान वरुण की उपासना प्राचीन काल से होती है। ये जलों के स्वामी, जल के निवासी हैं।
- श्रुतियों में वरुण की स्तुतियाँ हैं।
- कुछ आचार्यों के मत से केवल देवराज इन्द्र का पद कर्म के द्वारा प्राप्त होता है।
- वरुण, कुबेर, यम आदि लोकपाल कारक-कोटि के हैं।
- वरुण भगवान के ही स्वरूप हैं।