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#REDIRECT[[वायु देव]]
==वायु / वात / Vayu==
 
वैदिक देवताओं को तीन श्रेणियों में विभक्त किया गया है; पार्थिव, वायवीय एवं आकाशीय। इनमें वायवीय देवों में वायु प्रधान [[देवता]] है। इसका एक पर्याय वात भी है। वायु, वात दोनों ही भौतिक तत्व एवं दैवी व्यक्तित्व के बोधक हैं किन्तु वायु से विशेष कर देवता एवं वात से आँधी का बोध होता है। [[ॠग्वेद]] में केवल एक ही पूर्ण सूक्त वायु की स्तुति में है<balloon title="ॠग्वेद, 1.139" style=color:blue>*</balloon> तथा वात के लिए दो हैं।<balloon title="ॠग्वेद, 10.168,186" style=color:blue>*</balloon> वायु का प्रसिद्ध विरुद ‘नियुत्वान’ है जिससे इसके सदा चलते रहने का बोध होता है। वायु मन्द के सिवा तीन प्रकार का होता है:<br />
 
(1) धूल-पत्ते उड़ाता हुआ,<br />
 
(2) वर्षाकर एवं<br />
 
(3) वर्षा के साथ चलने वाला झंझावत। <br />
 
तीनों प्रकार वात के हैं जबकि वायु का स्वरूप बड़ा ही कोमल वर्णित है। प्रात: कालीन समीर (वायु) उषा के ऊपर साँस लेकर उसे जगाता है, जैसे प्रेमी अपनी सोयी प्रेयसी को जगाता हो। उषा को जगाने का अर्थ है प्रकाश को निमंत्रण देना, आकाश तथा [[पृथ्वी]] को द्युतिमान करना। इस प्रकार प्रभात होने का कारण वायु है क्योंकि वायु ही उषा को जगाता है।
 
==इन्द्र एवं वायु में सम्बन्ध==
 
[[इन्द्र]] एवं वायु का सम्बन्ध बहुत ही समीपी है और इस प्रकार इन्द्र तथा वायु युगल देव का रूप धारण करते हैं। विद्युत एवं वायु वर्षाकालीन गर्जन एवं तूफान में एक साथ होते हैं, इसलिए इन्द्र तथा वायु एक ही रथ में बैठते हैं- दोनों के संयुक्त कार्य का यह पौराणिक व्यक्तिकरण है। [[सोम रस|सोम]] की प्रथम घूँट वायु ही ग्रहण करता है। वायु अपने को रहस्यात्मक (अदृश्य) पदार्थ के रूप में प्रस्तुत करता है। इसकी ध्वनि सुनाई पड़ती है किन्तु कोई इसका रूप नहीं देखता। इसकी उत्पत्ति अज्ञात है। एक बार इसे स्वर्ग तथा पृथ्वी की सन्तान कहा गया है।<balloon title="ॠग्वेद, 7.9.3" style=color:blue>*</balloon> वैदिक ॠषि वायु के स्वास्थ्य सम्बन्धी गुणों से सुपरिचित थे। वे जानते थे कि वायु ही जीवन का साधन है तथा स्वास्थ्य  के लिए वायु का चलना परमावश्यक है। वात रोगमुक्त लाता है तथा जीवनी शक्ति को बढ़ाता है। उसके घर में अमरत्व का कोष भरा पड़ा है। उपर्युक्त हेतुओं से वायु को विश्व का कारण, मनुष्यों का पिता तथा देवों का श्वास कहा गया है। इन वैदिक कल्पनाओं के आधार पर [[पुराण|पुराणों]] में वायु सम्बन्धी बहुत सी पुराकथाओं की रचना हुई।
 
[[Category:कोश]]
 
[[Category:हिन्दू]]
 
[[Category:भगवान-अवतार]]
 
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१०:१६, ८ फ़रवरी २०१० के समय का अवतरण

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