"विजय दशमी" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
छो (Text replace - " ।" to "।")
 
(७ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के २० अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
{{Menu}}<br/ >
+
{{Menu}}
==विजय दशमी / दशहरा / Vijay Dashmi / Dashahra / Dasara / Dussera==
+
'''विजय दशमी / दशहरा / Vijay Dashmi / Dashahra / Dasara / Dussera'''<br />
[[चित्र:Ramlila-Mathura-6.jpg|thumb|250|दशहरा, [[रामलीला]] मैदान [[मथुरा]]]]
+
[[चित्र:Ramlila-Mathura-6.jpg|thumb|250px|दशहरा, [[रामलीला]] मैदान, [[मथुरा]]<br /> Dussera, Ramlila Ground, Mathura]]
आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्यौहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है । यह  हमारा  राष्ट्रीय  पर्व  है। [[रामलीला]] में जगह–जगह [[रावण]] वध का प्रदर्शन होता है । क्षत्रियों के यहां शस्त्र की पूजा होती है । [[ब्रज]] मन्दिरों में इस दिन विशेष दर्शन होते हैं। इस  दिन  नीलकंठ  का  दर्शन  बहुत  शुभ  माना  जाता  है। यह  त्यौहार क्षत्रियों  का  माना  जाता  है। इसमें  अपराजिता  देवी  की  पूजा  होती  है। यह  पूजन  भी  सर्वसुख  देने  वाला  है। दशहरा या विजया दशमी [[नवरात्रि]] के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन [[राम]] ने रावण का वध किया था । रावण राम की पत्नी [[सीता]] का अपहरण कर  [[लंका]] ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां [[दुर्गा]] के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसके बाद राम ने भाई [[लक्ष्मण]], भक्त [[हनुमान]], और बंदरों की सेना के साथ एक बड़ा युद्ध लड़कर  सीता को छुड़ाया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन रावण, उसके भाई [[कुम्भकर्ण]] और पुत्र [[मेघनाद]] के पुतले खुली जगह में जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारण करते हैं और  आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं जो पटाखों से भरे होते हैं। पुतले में आग लगते ही वह धू धू कर जलने लगता है और इनमें लगे पटाखे फटने लगते हैं और जिससे  इनका अंत हो जाता है। यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
+
आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह  हमारा  राष्ट्रीय  पर्व  है। [[रामलीला]] में जगह–जगह [[रावण]] वध का प्रदर्शन होता है। क्षत्रियों के यहाँ शस्त्र की पूजा होती है। [[ब्रज]] मन्दिरों में इस दिन विशेष दर्शन होते हैं। इस  दिन  नीलकंठ  का  दर्शन  बहुत  शुभ  माना  जाता  है। यह  त्योहार क्षत्रियों  का  माना  जाता  है। इसमें  अपराजिता  देवी  की  पूजा  होती  है। यह  पूजन  भी  सर्वसुख  देने  वाला  है। दशहरा या विजया दशमी [[नवरात्रि]] के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन [[राम]] ने रावण का वध किया था। रावण राम की पत्नी [[सीता]] का अपहरण कर  [[लंका]] ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां [[दुर्गा]] के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसके बाद राम ने भाई [[लक्ष्मण]], भक्त [[हनुमान]], और बंदरों की सेना के साथ एक बड़ा युद्ध लड़कर  सीता को छुड़ाया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन रावण, उसके भाई [[कुम्भकर्ण]] और पुत्र [[मेघनाद]] के पुतले खुली जगह में जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारण करते हैं और  आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं जो पटाखों से भरे होते हैं। पुतले में आग लगते ही वह धू धू कर जलने लगता है और इनमें लगे पटाखे फटने लगते हैं और जिससे  इनका अंत हो जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
 +
 
 
==विजयादशमी के दस सूत्र==
 
==विजयादशमी के दस सूत्र==
 
*दस इन्द्रियों पर विजय का पर्व है।
 
*दस इन्द्रियों पर विजय का पर्व है।
 
*असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है।
 
*असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है।
 
*बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय का पर्व है।
 
*बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय का पर्व है।
 +
[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-8.jpg|250px|thumb|[[रावण]] दहन, [[रामलीला]], [[मथुरा]]<br /> Ravana Dahan, Ramlila, Mathura]]
 
*अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व है।
 
*अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व है।
 
*दुराचार पर सदाचार की विजय का पर्व है।
 
*दुराचार पर सदाचार की विजय का पर्व है।
पंक्ति १४: पंक्ति १६:
 
*असुरत्व पर देवत्व की विजय का पर्व है तथा,
 
*असुरत्व पर देवत्व की विजय का पर्व है तथा,
 
*जीवत्व पर शिवत्व की विजय का पर्व है।
 
*जीवत्व पर शिवत्व की विजय का पर्व है।
 +
 
==वनस्पति पूजन==
 
==वनस्पति पूजन==
 
विजयदशमी पर दो विशेष प्रकार की वनस्पतियों के पूजन का महत्व है-  
 
विजयदशमी पर दो विशेष प्रकार की वनस्पतियों के पूजन का महत्व है-  
पंक्ति १९: पंक्ति २२:
 
*दूसरा है अपराजिता (विष्णु-क्रांता)। यह पौधा अपने नाम के अनुरूप ही है। यह विष्णु को प्रिय है और प्रत्येक परिस्थिति में सहायक बनकर विजय प्रदान करने वाला है। नीले रंग के पुष्प का यह पौधा भारत में सुलभता से उपलब्ध है। घरों में समृद्धि के लिए तुलसी की भाँति इसकी नियमित सेवा की जाती है
 
*दूसरा है अपराजिता (विष्णु-क्रांता)। यह पौधा अपने नाम के अनुरूप ही है। यह विष्णु को प्रिय है और प्रत्येक परिस्थिति में सहायक बनकर विजय प्रदान करने वाला है। नीले रंग के पुष्प का यह पौधा भारत में सुलभता से उपलब्ध है। घरों में समृद्धि के लिए तुलसी की भाँति इसकी नियमित सेवा की जाती है
 
==मेला==
 
==मेला==
दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहां लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह तरह की वस्तुएँ, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।  
+
दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहाँ लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह तरह की वस्तुएँ, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।  
 
==रामलीला==  
 
==रामलीला==  
दशहरा उत्सव में रामलीला भी महत्वपूर्ण  है। रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण की जीवन का वृत्तांत का वर्णन किया जाता है। रामलीला नाटक का मंचन देश के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। यह देश में अलग अलग तरीके से मनाया जाता है। बंगाल और मध्य भारत के अलावा दशहरा पर्व देश के अन्य राज्यों में क्षेत्रीय विषमता के बावजूद एक समान उत्साह और शौक़ से मनाया जाता है।
+
दशहरा उत्सव में रामलीला भी महत्वपूर्ण  है। रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण की जीवन का वृत्तांत का वर्णन किया जाता है। रामलीला नाटक का मंचन देश के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। यह देश में अलग अलग तरीक़े से मनाया जाता है। बंगाल और मध्य भारत के अलावा दशहरा पर्व देश के अन्य राज्यों में क्षेत्रीय विषमता के बावजूद एक समान उत्साह और शौक़ से मनाया जाता है।
 
+
[[चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|thumb|250px|दशानन [[रावण]], [[रामलीला]], [[मथुरा]]<br /> Ravana, Ramlila, Mathura]]
 
==नवदुर्गा==
 
==नवदुर्गा==
 
शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की।  तभी से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा चाहते हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी [[देवता]], राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा के लिए उपासना रत रहते हैं।
 
शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की।  तभी से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा चाहते हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी [[देवता]], राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा के लिए उपासना रत रहते हैं।
  
 
==सावधानियाँ==   
 
==सावधानियाँ==   
*सावधान और सजग रहें। असावधानी और लापरवाही से मनुष्य बहुत कुछ खो बैठता है। विजयादशमी और दीपावली के आगमन पर इस त्यौहार का आनंद, ख़ुशी और उत्साह बनाये रखने के लिए सावधानीपूर्वक रहें।
+
*सावधान और सजग रहें। असावधानी और लापरवाही से मनुष्य बहुत कुछ खो बैठता है। विजयादशमी और दीपावली के आगमन पर इस त्योहार का आनंद, ख़ुशी और उत्साह बनाये रखने के लिए सावधानीपूर्वक रहें।
 
*पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें। उचित दूरी से पटाखे चलाएँ।
 
*पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें। उचित दूरी से पटाखे चलाएँ।
*मिठाइयों और पकवानों की शुद्धता, पवित्रता का ध्यान रखें ।
+
*मिठाइयों और पकवानों की शुद्धता, पवित्रता का ध्यान रखें।
 
*भारतीय संस्कृति के अनुसार आदर्शों व सादगी से मनायें। पाश्चात्य जगत का अंधानुकरण ना करें।
 
*भारतीय संस्कृति के अनुसार आदर्शों व सादगी से मनायें। पाश्चात्य जगत का अंधानुकरण ना करें।
 
*पटाखे घर से दूर चलायें और आस-पास के लोगों की असुविधा के प्रति सजग रहें।
 
*पटाखे घर से दूर चलायें और आस-पास के लोगों की असुविधा के प्रति सजग रहें।
 
*स्वच्छ्ता और पर्यावरण का ध्यान रखें।
 
*स्वच्छ्ता और पर्यावरण का ध्यान रखें।
 
*पटाखों से बच्चों को  उचित दूरी बनाये रखने और सावधानियों को प्रयोग करने का सहज ज्ञान दें।
 
*पटाखों से बच्चों को  उचित दूरी बनाये रखने और सावधानियों को प्रयोग करने का सहज ज्ञान दें।
<gallery>
 
चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-8.jpg|[[रावण]] दहन, [[रामलीला]], [[मथुरा]]
 
चित्र:Ravana-Ramlila-Mathura-2.jpg|दशानन [[रावण]], [[रामलीला]], [[मथुरा]]
 
</gallery>
 
  
<br />
+
==सम्बंधित लिंक==
{{साँचा:पर्व और त्यौहार}}
+
{{पर्व और त्योहार}}
[[category:कोश]]
+
[[Category:कोश]]
[[category:पर्व और त्यौहार]]
+
[[Category:पर्व और त्योहार]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__
 +
__NOTOC__

१३:०४, २ नवम्बर २०१३ के समय का अवतरण

विजय दशमी / दशहरा / Vijay Dashmi / Dashahra / Dasara / Dussera

दशहरा, रामलीला मैदान, मथुरा
Dussera, Ramlila Ground, Mathura

आश्विन शुक्ल दशमी को विजयदशमी का त्योहार बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। यह हमारा राष्ट्रीय पर्व है। रामलीला में जगह–जगह रावण वध का प्रदर्शन होता है। क्षत्रियों के यहाँ शस्त्र की पूजा होती है। ब्रज मन्दिरों में इस दिन विशेष दर्शन होते हैं। इस दिन नीलकंठ का दर्शन बहुत शुभ माना जाता है। यह त्योहार क्षत्रियों का माना जाता है। इसमें अपराजिता देवी की पूजा होती है। यह पूजन भी सर्वसुख देने वाला है। दशहरा या विजया दशमी नवरात्रि के बाद दसवें दिन मनाया जाता है। इस दिन राम ने रावण का वध किया था। रावण राम की पत्नी सीता का अपहरण कर लंका ले गया था। भगवान राम युद्ध की देवी मां दुर्गा के भक्त थे, उन्होंने युद्ध के दौरान पहले नौ दिनों तक मां दुर्गा की पूजा की और दसवें दिन दुष्ट रावण का वध किया। इसके बाद राम ने भाई लक्ष्मण, भक्त हनुमान, और बंदरों की सेना के साथ एक बड़ा युद्ध लड़कर सीता को छुड़ाया। इसलिए विजयादशमी एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन रावण, उसके भाई कुम्भकर्ण और पुत्र मेघनाद के पुतले खुली जगह में जलाए जाते हैं। कलाकार राम, सीता और लक्ष्मण के रूप धारण करते हैं और आग के तीर से इन पुतलों को मारते हैं जो पटाखों से भरे होते हैं। पुतले में आग लगते ही वह धू धू कर जलने लगता है और इनमें लगे पटाखे फटने लगते हैं और जिससे इनका अंत हो जाता है। यह त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।

विजयादशमी के दस सूत्र

  • दस इन्द्रियों पर विजय का पर्व है।
  • असत्य पर सत्य की विजय का पर्व है।
  • बहिर्मुखता पर अंतर्मुखता की विजय का पर्व है।
रावण दहन, रामलीला, मथुरा
Ravana Dahan, Ramlila, Mathura
  • अन्याय पर न्याय की विजय का पर्व है।
  • दुराचार पर सदाचार की विजय का पर्व है।
  • तमोगुण पर दैवीगुण की विजय का पर्व है।
  • दुष्कर्मों पर सत्कर्मों की विजय का पर्व है।
  • भोग पर योग की विजय का पर्व है।
  • असुरत्व पर देवत्व की विजय का पर्व है तथा,
  • जीवत्व पर शिवत्व की विजय का पर्व है।

वनस्पति पूजन

विजयदशमी पर दो विशेष प्रकार की वनस्पतियों के पूजन का महत्व है-

  • एक है शमी वृक्ष, जिसका पूजन रावण दहन के बाद करके इसकी पत्तियों को स्वर्ण पत्तियों के रूप में एक-दूसरे को ससम्मान प्रदान किया जाता है। इस परंपरा में विजय उल्लास पर्व की कामना के साथ समृद्धि की कामना करते है।
  • दूसरा है अपराजिता (विष्णु-क्रांता)। यह पौधा अपने नाम के अनुरूप ही है। यह विष्णु को प्रिय है और प्रत्येक परिस्थिति में सहायक बनकर विजय प्रदान करने वाला है। नीले रंग के पुष्प का यह पौधा भारत में सुलभता से उपलब्ध है। घरों में समृद्धि के लिए तुलसी की भाँति इसकी नियमित सेवा की जाती है

मेला

दशहरा पर्व को मनाने के लिए जगह जगह बड़े मेलों का आयोजन किया जाता है। यहाँ लोग अपने परिवार, दोस्तों के साथ आते हैं और खुले आसमान के नीचे मेले का पूरा आनंद लेते हैं। मेले में तरह तरह की वस्तुएँ, चूड़ियों से लेकर खिलौने और कपड़े बेचे जाते हैं। इसके साथ ही मेले में व्यंजनों की भी भरमार रहती है।

रामलीला

दशहरा उत्सव में रामलीला भी महत्वपूर्ण है। रामलीला में राम, सीता और लक्ष्मण की जीवन का वृत्तांत का वर्णन किया जाता है। रामलीला नाटक का मंचन देश के विभिन्न क्षेत्रों में होता है। यह देश में अलग अलग तरीक़े से मनाया जाता है। बंगाल और मध्य भारत के अलावा दशहरा पर्व देश के अन्य राज्यों में क्षेत्रीय विषमता के बावजूद एक समान उत्साह और शौक़ से मनाया जाता है।

दशानन रावण, रामलीला, मथुरा
Ravana, Ramlila, Mathura

नवदुर्गा

शक्ति की उपासना का पर्व शारदेय नवरात्र प्रतिपदा से नवमी तक निश्चित नौ तिथि, नौ नक्षत्र, नौ शक्तियों की नवधा भक्ति के साथ सनातन काल से मनाया जा रहा है। सर्वप्रथम श्री रामचंद्रजी ने इस शारदीय नवरात्रि पूजा का प्रारंभ समुद्र तट पर किया था और उसके बाद दसवें दिन लंका विजय के लिए प्रस्थान किया और विजय प्राप्त की। तभी से असत्य पर सत्य, अधर्म पर धर्म की जीत का पर्व दशहरा मनाया जाता है। आदिशक्ति के हर रूप की नवरात्र के नौ दिनों में अलग-अलग पूजा की जाती है। माँ दुर्गा की नौवीं शक्ति का नाम सिद्धिदात्री है। ये सभी प्रकार की सिद्धियाँ देने वाली हैं। इनका वाहन सिंह है और कमल पुष्प पर ही आसीन होती हैं। नवरात्रि के नौवें दिन इनकी उपासना की जाती है। नवदुर्गा और दस महाविधाओं में काली ही प्रथम प्रमुख हैं। भगवान शिव की शक्तियों में उग्र और सौम्य, दो रूपों में अनेक रूप धारण करने वाली दस महाविधाएँ अनंत सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। दसवें स्थान पर कमला वैष्णवी शक्ति हैं, जो प्राकृतिक संपत्तियों की अधिष्ठात्री देवी लक्ष्मी हैं। देवता, मानव, दानव सभी इनकी कृपा चाहते हैं, इसलिए आगम-निगम दोनों में इनकी उपासना समान रूप से वर्णित है। सभी देवता, राक्षस, मनुष्य, गंधर्व इनकी कृपा के लिए उपासना रत रहते हैं।

सावधानियाँ

  • सावधान और सजग रहें। असावधानी और लापरवाही से मनुष्य बहुत कुछ खो बैठता है। विजयादशमी और दीपावली के आगमन पर इस त्योहार का आनंद, ख़ुशी और उत्साह बनाये रखने के लिए सावधानीपूर्वक रहें।
  • पटाखों के साथ खिलवाड़ न करें। उचित दूरी से पटाखे चलाएँ।
  • मिठाइयों और पकवानों की शुद्धता, पवित्रता का ध्यान रखें।
  • भारतीय संस्कृति के अनुसार आदर्शों व सादगी से मनायें। पाश्चात्य जगत का अंधानुकरण ना करें।
  • पटाखे घर से दूर चलायें और आस-पास के लोगों की असुविधा के प्रति सजग रहें।
  • स्वच्छ्ता और पर्यावरण का ध्यान रखें।
  • पटाखों से बच्चों को उचित दूरी बनाये रखने और सावधानियों को प्रयोग करने का सहज ज्ञान दें।

सम्बंधित लिंक