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*वृजियों का उल्लेख पाणिनि <ref>पाणिनि 4,2,131</ref> में है। | *वृजियों का उल्लेख पाणिनि <ref>पाणिनि 4,2,131</ref> में है। | ||
*[[चाणक्य|कौटिल्य]] अर्थशास्त्र में वृजिकों को लिच्छविकों से भिन्न बताया गया है और वृजियों के संघ का भी उल्लेख किया गया है। | *[[चाणक्य|कौटिल्य]] अर्थशास्त्र में वृजिकों को लिच्छविकों से भिन्न बताया गया है और वृजियों के संघ का भी उल्लेख किया गया है। | ||
− | *युवानच्वांग ने भी वृज्जि देश को [[वैशाली]] से अलग बताया है <ref>(दे॰ वाटर्स 2,81)</ref> किन्तु फिर भी वृजियों का [[वैशाली]] से निकट सम्बन्ध था। | + | *[[हुएन-सांग|युवानच्वांग]] ने भी वृज्जि देश को [[वैशाली]] से अलग बताया है <ref>(दे॰ वाटर्स 2,81)</ref> किन्तु फिर भी वृजियों का [[वैशाली]] से निकट सम्बन्ध था। |
− | *बुद्ध के जीवनकाल में मगध सम्राट [[अजातशत्रु]] और | + | *[[बुद्ध]] के जीवनकाल में [[मगध]] सम्राट [[अजातशत्रु]] और वृज्जि गणराज्य में बहुत दिनों तक संघर्ष चलता रहा। |
− | *महावग्ग के अनुसार अजातशत्रु के दो मंत्रियों सुनिध और वर्षकार (वस्सकार) ने पाटलिग्राम ([[पाटलिपुत्र]]) में एक क़िला वृज्जियों के आक्रमणों को रोकने के लिए बनवाया था। | + | *महावग्ग के अनुसार [[अजातशत्रु]] के दो मंत्रियों सुनिध और वर्षकार (वस्सकार) ने पाटलिग्राम ([[पाटलिपुत्र]]) में एक क़िला वृज्जियों के आक्रमणों को रोकने के लिए बनवाया था। |
*महापरिनिब्बान सुत्तन्त में भी अजातशत्रु और वृज्जियों के विरोध का वर्णन है। | *महापरिनिब्बान सुत्तन्त में भी अजातशत्रु और वृज्जियों के विरोध का वर्णन है। | ||
− | *वज्जि शायद वृजि का ही रूपांतर है <ref> | + | *वज्जि शायद वृजि का ही रूपांतर है <ref>राय चौधरी, पोलिटिकल हिस्ट्री ऑव ऐशेंट इंडिया – पृ॰ 255)</ref>। |
− | *बुल्हर के मत में वज्रि का नामोल्लेख अशोक के शिलालेख सं॰ 13 में है। जैन तीर्थंकर महावीर | + | *बुल्हर के मत में वज्रि का नामोल्लेख [[अशोक] के शिलालेख सं॰ 13 में है। |
+ | *[[जैन]] तीर्थंकर [[महावीर]] वृज्जि गणराज्य के ही राजकुमार थे। | ||
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०८:०८, २५ दिसम्बर २००९ का अवतरण
वृज्जि / Vrijji / Brijji
- उत्तर बिहार का बौद्ध कालीन गणराज्य जिसे बौद्ध साहित्य में वृज्जि कहा गया है।
- वास्तव में यह गणराज्य एक राज्य-संघ का अंग था जिसके आठ अन्य सदस्य (अट्ठकुल) थे जिनमें विदेह, लिच्छवी तथा ज्ञातृकगण प्रसिद्ध थे।
- वृजियों का उल्लेख पाणिनि [१] में है।
- कौटिल्य अर्थशास्त्र में वृजिकों को लिच्छविकों से भिन्न बताया गया है और वृजियों के संघ का भी उल्लेख किया गया है।
- युवानच्वांग ने भी वृज्जि देश को वैशाली से अलग बताया है [२] किन्तु फिर भी वृजियों का वैशाली से निकट सम्बन्ध था।
- बुद्ध के जीवनकाल में मगध सम्राट अजातशत्रु और वृज्जि गणराज्य में बहुत दिनों तक संघर्ष चलता रहा।
- महावग्ग के अनुसार अजातशत्रु के दो मंत्रियों सुनिध और वर्षकार (वस्सकार) ने पाटलिग्राम (पाटलिपुत्र) में एक क़िला वृज्जियों के आक्रमणों को रोकने के लिए बनवाया था।
- महापरिनिब्बान सुत्तन्त में भी अजातशत्रु और वृज्जियों के विरोध का वर्णन है।
- वज्जि शायद वृजि का ही रूपांतर है [३]।
- बुल्हर के मत में वज्रि का नामोल्लेख [[अशोक] के शिलालेख सं॰ 13 में है।
- जैन तीर्थंकर महावीर वृज्जि गणराज्य के ही राजकुमार थे।