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शक सम्भवतः उत्तरी चीन तथा यूरोप के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे ।[[ कुषाणों]] एवं शकों का कबीला एक ही माना गया था । किन्तु इन दोनों के कबीले अलग अलग थे । लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी । [[मथुरा]] में इनका केन्द्र बना । यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं । | शक सम्भवतः उत्तरी चीन तथा यूरोप के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे ।[[ कुषाणों]] एवं शकों का कबीला एक ही माना गया था । किन्तु इन दोनों के कबीले अलग अलग थे । लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी । [[मथुरा]] में इनका केन्द्र बना । यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं । | ||
− | मथुरा के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रुप से पड़ा । | + | मथुरा के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रुप से पड़ा । [[शक संवत्]] पुराना भारतीय संवत् है जो ई. 78 से शुरू होता है । भारत में [[मौर्य]] और [[सातवाहन काल]] में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था । संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा है । शक, मालव, गुप्त, हर्ष आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है । [[महाभारत]] में भी शकों का उल्लेख है । |
− | [[शक संवत्]] पुराना भारतीय संवत् है जो ई. 78 से शुरू होता है । भारत में [[मौर्य]] और [[सातवाहन काल]] में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था । संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा है । शक, मालव, गुप्त, हर्ष आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है । [[महाभारत]] में भी शकों का उल्लेख है । |
०६:४९, २८ मई २००९ का अवतरण
शक
शक सम्भवतः उत्तरी चीन तथा यूरोप के मध्य स्थित विदेश झींगझियांग प्रदेश के निवासी थे ।कुषाणों एवं शकों का कबीला एक ही माना गया था । किन्तु इन दोनों के कबीले अलग अलग थे । लगभग ई. पू. 100 में विदेशी शासकों की शक्ति बढ़ने लगी । मथुरा में इनका केन्द्र बना । यहाँ के राजा 'शक क्षत्रप' के नाम से जाने जाते हैं । मथुरा के नागरिक शक-क्षत्रपों के समय सबसे पहले विदेशी सम्पर्क में आये पर जनता पर कुषाण शासन का प्रभाव स्थाई रुप से पड़ा । शक संवत् पुराना भारतीय संवत् है जो ई. 78 से शुरू होता है । भारत में मौर्य और सातवाहन काल में शासन-वर्षों का ही प्रयोग होता था । संवतों का प्रयोग तिथि-निर्धारण के लिए कुषाण और शक काल से होने लगा है । शक, मालव, गुप्त, हर्ष आदि संवतों का संबंध ऐतिहासिक घटनाओं से है । महाभारत में भी शकों का उल्लेख है ।