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*श्री गोकुलानन्द मन्दिर के उत्तर में भ्रमरघाट के ऊपर प्राचीन [[यमुना]] तट पर एक प्राचीन मन्दिर में श्री जयदेव गोस्वामी के द्वारा सेवित श्रीराधामाधव जी विराजमान थे। | *श्री गोकुलानन्द मन्दिर के उत्तर में भ्रमरघाट के ऊपर प्राचीन [[यमुना]] तट पर एक प्राचीन मन्दिर में श्री जयदेव गोस्वामी के द्वारा सेवित श्रीराधामाधव जी विराजमान थे। | ||
− | *अब वे [[जयपुर] में घाटी नामक पर्वतीय स्थान में एक बृहद मन्दिर में सेवित हो रहे हैं जो जयपुर का प्रमुख दर्शनीय मन्दिर है। | + | *अब वे [[जयपुर]] में घाटी नामक पर्वतीय स्थान में एक बृहद मन्दिर में सेवित हो रहे हैं जो जयपुर का प्रमुख दर्शनीय मन्दिर है। |
*श्री राधामाधव मन्दिर के ईशान-कोण में श्री युगलकिशोर का विशाल मन्दिर शिखर-रहित अवस्था में पड़ा हुआ है (जिसे कनक [[वृन्दावन]] कहते हैं)। | *श्री राधामाधव मन्दिर के ईशान-कोण में श्री युगलकिशोर का विशाल मन्दिर शिखर-रहित अवस्था में पड़ा हुआ है (जिसे कनक [[वृन्दावन]] कहते हैं)। | ||
१५:२३, १० जनवरी २०१० का अवतरण
श्री राधामाधव / Temple Of Shri Radhamadhav
- श्री गोकुलानन्द मन्दिर के उत्तर में भ्रमरघाट के ऊपर प्राचीन यमुना तट पर एक प्राचीन मन्दिर में श्री जयदेव गोस्वामी के द्वारा सेवित श्रीराधामाधव जी विराजमान थे।
- अब वे जयपुर में घाटी नामक पर्वतीय स्थान में एक बृहद मन्दिर में सेवित हो रहे हैं जो जयपुर का प्रमुख दर्शनीय मन्दिर है।
- श्री राधामाधव मन्दिर के ईशान-कोण में श्री युगलकिशोर का विशाल मन्दिर शिखर-रहित अवस्था में पड़ा हुआ है (जिसे कनक वृन्दावन कहते हैं)।