"सदस्य:Nikhil/Sandbox" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(पन्ने से सम्पूर्ण विषयवस्तु हटा रहा है)
 
(२ सदस्यों द्वारा किये गये बीच के १२ अवतरण नहीं दर्शाए गए)
पंक्ति १: पंक्ति १:
[[अब विलुप्त हो]] चुकी मूल[ संस्कृत कृति]
+
 
== संभवत: ==
 
[[चित्र: 100 ई॰पू॰]] से [[मीडिया:500 ई]]॰ के बीच किसी समय अस्तित्व में आई। छठी शताब्दी में ईरान के शाही चिकित्स्क बुर्ज़ों ने पहलवानी ( मध्य फ़ारसी ) में इसका अनुवाद किया। हालांकि यह कृति भी अब खो चुकी है, इसका सीरियाई अनुवाद,इब्न अल मुकफ़्फ़ा (मृ॰-760 ई॰) द्वारा किये इसके प्रसिध्द अरबी अनुवाद के साथ अब भी उपलब्ध है। इसे दो सियारों की पहली कहानी के आधार पर कलिलाह वा दिमनाह के नाम से जाना जाता है। कलिलाह वा दिमनाह का दूसरा सीरियाई संस्करण और 11 वीं शताब्दी का यूनानी यूनानी संस्करण स्टेफ़्नाइट्स काई इचनेलेट्स समेत कई अन्य संस्करण प्रकाशित हुये, जिनके लैटिन एवं विभिन्न स्लावियाई भाषाओं में इसका अनुवाद हुआ। लेकिन अधिकांश यूरोपीय संस्करणों का स्त्रो 12 वीं शताब्दी में रैबाई जोएल द्वारा अनुदिन हिब्रू संस्करण है।
 
इसका 15 वीं शताब्दी का ईरानी ( फ़ारसी ) संस्करण अनवर ए सुहेली पर आधारित है। पंचतंत्र की कहानियां
 
जावा के पुराने लिखित साहित्य और संभवत: मौखिक रूप से भी इंडोनेशिया तक पहुंची। भारत में 12 वीं शताब्दी में नारायण द्वारा रचित हितोप्रदेश (लाभकारी परामर्श ), जो अधिकांशत: बंगाल में प्रसारित हुआ, पंचतंत्र की साम्रगी की एक स्वतंत्र प्रस्तुति जान पड़ता है।
 

०९:५६, २७ अप्रैल २०१० के समय का अवतरण