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सभापर्व में मयासुर द्वारा [[युधिष्ठिर]] के लिए सभाभवन का निर्माण, लोकपालों की भिन्न-भिन्न सभाओं का वर्णन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, [[जरासन्ध]] का वृत्तान्त तथा उसका वध, राजसूय के लिए [[अर्जुन]] आदि चार पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, [[राजसूय यज्ञ]], [[शिशुपाल]]वध, द्युतक्रीडा, युधिष्ठिर की द्यूत में हार और [[पाण्डव|पाण्डवों]] का वनगमन वर्णित है।
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सभा पर्व में मयासुर द्वारा [[युधिष्ठिर]] के लिए सभाभवन का निर्माण, लोकपालों की भिन्न-भिन्न सभाओं का वर्णन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, [[जरासन्ध]] का वृत्तान्त तथा उसका वध, राजसूय के लिए [[अर्जुन]] आदि चार पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, [[राजसूय यज्ञ]], [[शिशुपाल]]वध, द्युतक्रीडा, युधिष्ठिर की द्यूत में हार और [[पाण्डव|पाण्डवों]] का वनगमन वर्णित है।
 
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०७:१४, ९ जनवरी २०१० के समय का अवतरण

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सभा पर्व / Sabha Parv

सभा पर्व के अन्तर्गत दस (उप) पर्व और 81 अध्याय हैं। इन 10 (उप) के नाम हैं-

  • सभाक्रिया पर्व,
  • लोकपालसभाख्यान पर्व,
  • राजसूयारम्भ पर्व,
  • जरासन्धवध पर्व,
  • दिग्विजय पर्व,
  • राजसूय पर्व,
  • अर्घाभिहरण पर्व,
  • शिशुपालवध पर्व,
  • द्यूत पर्व और
  • अनुद्यूत पर्व।

सभा पर्व में मयासुर द्वारा युधिष्ठिर के लिए सभाभवन का निर्माण, लोकपालों की भिन्न-भिन्न सभाओं का वर्णन, युधिष्ठिर द्वारा राजसूय करने का संकल्प करना, जरासन्ध का वृत्तान्त तथा उसका वध, राजसूय के लिए अर्जुन आदि चार पाण्डवों की दिग्विजय यात्रा, राजसूय यज्ञ, शिशुपालवध, द्युतक्रीडा, युधिष्ठिर की द्यूत में हार और पाण्डवों का वनगमन वर्णित है।

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