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कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ऋग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज]] (जो [[सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना]] (जो [[गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी । आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है । ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी [[सरस्वती]] को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है । उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं । | कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और [[ऋग्वेद]] में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले [[सतलुज]] (जो [[सिन्धु]] नदी की सहायक नदी है) और [[यमुना]] (जो [[गंगा]] की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो [[हिमालय]] से लेकर [[अरब सागर]] तक बहती थी । आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है । ऋग्वेद में, [[वैदिक काल]] में इस नदी [[सरस्वती]] को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है । उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं । |
०४:१६, १२ मई २००९ का अवतरण
सरस्वती नदी
कई भू-विज्ञानी मानते हैं, और ऋग्वेद में भी कहा गया है, कि हज़ारों साल पहले सतलुज (जो सिन्धु नदी की सहायक नदी है) और यमुना (जो गंगा की सहायक नदी है) के बीच एक विशाल नदी थी जो हिमालय से लेकर अरब सागर तक बहती थी । आज ये भूगर्भी बदलाव के कारण सूख गयी है । ऋग्वेद में, वैदिक काल में इस नदी सरस्वती को 'नदीतमा' की उपाधि दी गयी है । उस सभ्यता में सरस्वती ही सबसे बड़ी और मुख्य नदी थी, गंगा नहीं ।