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| class="headbg8" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg7" style="padding-left:8px;"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''सूक्ति और विचार'''</span></div> | | class="headbg8" style="border:1px solid #D0D09D;padding:10px;" valign="top" | <div class="headbg7" style="padding-left:8px;"><span style="color: rgb(153, 51, 0);">'''सूक्ति और विचार'''</span></div> | ||
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[[Image:Gita-Krishna-1.jpg|right|80px|कृष्ण अर्जुन को ज्ञान देते हुए]] | [[Image:Gita-Krishna-1.jpg|right|80px|कृष्ण अर्जुन को ज्ञान देते हुए]] | ||
− | *जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। '''-स्वामी विवेकानन्द''' | + | *जब तक जीना, तब तक सीखना - अनुभव ही जगत में सर्वश्रेष्ठ शिक्षक है। '''-[[स्वामी विवेकानन्द]]''' |
− | *यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- श्रीमद्भागवत गीता''' | + | *यह मनुष्य अन्तकाल में जिस-जिस भी भाव को स्मरण करता हुआ शरीर को त्याग करता है, वह उस-उस को ही प्राप्त होता हैं; क्योंकि वह सदा उसी भाव से भावित रहा है । '''- [[गीता|श्रीमद्भागवत गीता]]''' |
*इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे''' | *इतिहास याने अनादिकाल से अब तक का सारा जीवन । पुराण याने अनादि काल से अब तक टिका हुआ अनुभव का अमर अंश। '''-विनोबा भावे''' | ||
*ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हज़ारी प्रसाद द्विवेदी''' | *ईमानदारी और बुद्धिमानी के साथ किया हुआ काम कभी व्यर्थ नहीं जाता । - '''हज़ारी प्रसाद द्विवेदी''' | ||
− | *मैं नहीं चाहता कि मेरे लिए कोई स्मारक बनवाया जाये, या मेरी प्रतिमा खड़ी की जाये। मेरी कामना केवल यही है कि लोग देश से प्रेम करते रहें और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण भी न्यौछावर कर दें। - '''गोपालकृष्ण गोखले''' | + | *पृथ्वी में कुआं जितना ही गहरा खुदेगा, उतना ही अधिक जल निकलेगा । वैसे ही मानव की जितनी अधिक शिक्षा होगी, उतनी ही तीव्र बुद्धि बनेगी । - '''तिरुवल्लुवर (तिरुक्कुरल, 396)''' |
− | [[सूक्ति और विचार|.... और पढ़ें]] | + | *मैं नहीं चाहता कि मेरे लिए कोई स्मारक बनवाया जाये, या मेरी प्रतिमा खड़ी की जाये। मेरी कामना केवल यही है कि लोग देश से प्रेम करते रहें और आवश्यकता पड़ने पर उसके लिए प्राण भी न्यौछावर कर दें। - '''गोपालकृष्ण गोखले''' '''[[सूक्ति और विचार|.... और पढ़ें]]''' |
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०७:०८, १० जुलाई २०१४ के समय का अवतरण
सूक्ति और विचार
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