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*विदेशी यात्रियों ने कभी 'मो-तु-लो' ( मोरों के नाचने का स्थान ) लिखा तो कभी मेथोरा। [[औरंगज़ेब]] ने मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद कर दिया तो अंग्रेजों ने मुट्रा।  
 
*विदेशी यात्रियों ने कभी 'मो-तु-लो' ( मोरों के नाचने का स्थान ) लिखा तो कभी मेथोरा। [[औरंगज़ेब]] ने मथुरा का नाम बदल कर इस्लामाबाद कर दिया तो अंग्रेजों ने मुट्रा।  
 
*[[ध्रुव]], [[गौतम बुद्ध]], [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]], [[महावीर]], [[शंकराचार्य]], [[चैतन्य महाप्रभु]], गुरु [[नानक]], [[सलीम चिश्ती]], [[रामकृष्ण परमहंस]], [[दयानंद सरस्वती]], गुरु [[समर्थ रामदास|रामदास]], [[वल्लभाचार्य]]... सभी ने यहाँ प्रवास किया अथवा सदैव के लिए रम गये ।  
 
*[[ध्रुव]], [[गौतम बुद्ध]], [[तीर्थंकर पार्श्वनाथ]], [[महावीर]], [[शंकराचार्य]], [[चैतन्य महाप्रभु]], गुरु [[नानक]], [[सलीम चिश्ती]], [[रामकृष्ण परमहंस]], [[दयानंद सरस्वती]], गुरु [[समर्थ रामदास|रामदास]], [[वल्लभाचार्य]]... सभी ने यहाँ प्रवास किया अथवा सदैव के लिए रम गये ।  
*आगे चलते जायेंगे और पढ़ने और देखने को मिलेगा, कुछ खोजने को भी!
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*आगे चलते जायेंगे तो कुछ और देखने-पढ़ने को मिलेगा साथ ही कुछ खोजने को भी!
  
 
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०५:५२, ११ मई २०११ का अवतरण

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