"स्वायंभुव" के अवतरणों में अंतर

ब्रज डिस्कवरी, एक मुक्त ज्ञानकोष से
नेविगेशन पर जाएँ खोज पर जाएँ
(नया पृष्ठ: ==स्वयंभुव मनु== धर्मग्रन्थों के बाद धर्माचरण की शिक्षा देने के लि...)
 
पंक्ति १: पंक्ति १:
 
==स्वयंभुव मनु==
 
==स्वयंभुव मनु==
धर्मग्रन्थों के बाद धर्माचरण की शिक्षा देने के लिये आदिपुरुष स्वयंभुव मनु ने स्मृति की रचना की जो [[मनुस्मृति]] के नाम से विख्यात है । स्वयंभुव मनु का विवाह शतरूपा से हुआ और हम सब उन्हीं की सन्तान हैं । मनु स्मृति ने सनातन धर्म को आचार संहिता से जोड़ा
+
मनु जो एक धर्मशास्त्रकार थे, धर्मग्रन्थों के बाद धर्माचरण की शिक्षा देने के लिये आदिपुरुष स्वयंभुव मनु ने स्मृति की रचना की जो [[मनुस्मृति]] के नाम से विख्यात है । ये ब्रह्मा के मानस पत्रों में से थे जिनका विवाह ब्रह्मा के दाहिने भाग से उत्पन्न शतरूपा से हुआ था।  उत्तानपाद जिसके घर में [[ध्रुव]] पैदा हुआ था, इन्हीं का पुत्र था।  मनु स्वायंभुव का ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत पृथ्वी का प्रथम क्षत्रिय माना जाता है। इनके द्वारा प्रणीत 'स्वायंभुव शास्त्र' के अनुसार पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री का समान अधिकार है। इनको धर्मशास्त्र का और प्राचेतस मनु अर्थशास्त्र का आचार्य माना जाता है।  मनुस्मृति ने सनातन धर्म को आचार संहिता से जोड़ा था।
 +
----

०९:४५, २४ जून २००९ का अवतरण

स्वयंभुव मनु

मनु जो एक धर्मशास्त्रकार थे, धर्मग्रन्थों के बाद धर्माचरण की शिक्षा देने के लिये आदिपुरुष स्वयंभुव मनु ने स्मृति की रचना की जो मनुस्मृति के नाम से विख्यात है । ये ब्रह्मा के मानस पत्रों में से थे जिनका विवाह ब्रह्मा के दाहिने भाग से उत्पन्न शतरूपा से हुआ था। उत्तानपाद जिसके घर में ध्रुव पैदा हुआ था, इन्हीं का पुत्र था। मनु स्वायंभुव का ज्येष्ठ पुत्र प्रियव्रत पृथ्वी का प्रथम क्षत्रिय माना जाता है। इनके द्वारा प्रणीत 'स्वायंभुव शास्त्र' के अनुसार पिता की संपत्ति में पुत्र और पुत्री का समान अधिकार है। इनको धर्मशास्त्र का और प्राचेतस मनु अर्थशास्त्र का आचार्य माना जाता है। मनुस्मृति ने सनातन धर्म को आचार संहिता से जोड़ा था।