कोटि तीर्थ
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कोटि तीर्थ / Koti Tirth
तत्रैव कोटितीर्थ तु देवानामपि दुर्ल्लभम् ।
तत्र स्नानेन दानेन मम लोके महीयते ।।
यहाँ कोटि–कोटि देववृन्द भगवद् आराधना करने की अभिलाषा करते हैं । इन देवताओं के लिए भी यह दुर्लभ स्थान है । यहाँ स्नान करने से भगवद्लोक की प्राप्ति होती है ।