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गीता अध्याय-2 श्लोक-26 / Gita Chapter-2 Verse-26
अथ चैनं नित्यजातं नित्यं वा मन्यसेमृतम् ।
तथापि त्वं महाबाहो नैवं शोचितुमर्हसि ।।26।।
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किंतु यदि तू इस आत्मा को सदा जन्मने वाला तथा सदा मरने वाला मानता हो, तो भी हे <balloon title="पार्थ,भारत, पृथापुत्र, परन्तप, महाबाहो सभी अर्जुन के सम्बोधन है ।" style="color:green">
महाबाहो</balloon> ! तू इस प्रकार शोक करने को योग्य नहीं है ।।26।।
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And, Arjuna, if you should suppose this soul to be subject to constant birth and death, even than you should not grieve like this.(26)
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अथ च =और यदि ; त्वम् = तूं ; एनम् = इसको ; नित्यम् = सदा ; भृतम् = मरनेवाला ; मन्यसे = माने ; तथापि = तो भी ; नित्यजातम् = सदा जन्मने ; वा = और ; महाबाहो = हे अर्जुन ; एवम् = इस प्रकार ; शोचितुम् = शोक करने को ; न अर्हसि = योग्य नहीं है
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