इन्द्रप्रस्थ

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इन्द्रप्रस्थ / Indraprastha

  • इन्द्रप्रस्थ (इन्द्र की नगरी), प्राचीन भारत के पुरातन नगरों में से एक था जो पांडवों के राज्य हस्तिनापुर की राजधानी थी ।
  • आज इस क्षेत्र से तात्पर्य यमुना के किनारे दिल्ली में स्थित कुछ क्षेत्रों से लगाया जाता है ।
  • जब युधिष्ठर , पांडवों के ज्येष्ठ भ्राता को खांडवप्रस्थ, (जो हस्तिनापुर के उत्तर पश्चिम में अवस्थित था) दिया गया तब यह एक बंजर प्रदेश था ।

प्राचीन नगर

इन्द्रप्रस्थ नगर द्वारका के समकालीन है। पाण्डवों की गाथा के साथ-साथ इस नगर की गाथा भी अमर रहेगी। नगर जंगलों को काट कर बनाये गये थे। इन्द्रप्रस्थ भी इसी कोटि के नगरों में आता था। अपने वैभव एवं समृद्धि की दृष्टि से यह मथुरा और द्वारका के ही टक्कर का था। पहले इस स्थान पर एक वन था, जिसे महाभारत में खांडवप्रस्थ कहा गया है। पाण्डवों ने इसे काट कर इन्द्रप्रस्थ की स्थापना की थी। नगर-जीवन के क्षेत्र में यह विकास का काल था। नदी, पर्वत, और सागर के किनारे अनुकूल जगह को चुनकर इस समय नये नगर बसाये जा रहे थे।


इस नगर का सबसे रोचक वर्णन महाभारत में मिलता है। इसके अनुसार यह कई सुन्दर परिखाओं (खाइयों) द्वारा परिवेष्ठित था, जो अपनी विशालता के कारण लहलहाते सागर की याद दिलाती थीं। इस नगर के चतुर्दिक उच्च प्रासाद भी था, जिसमें सुन्दर बुर्ज और दरवाजे यथास्थान खोले गये थे। नगर की सुरक्षा की दृष्टि से प्रासाद की चोटी पर विध्वंसकारी अस्त्र शस्त्र पहले से ही इकट्ठा कर लिये गये थे। वहाँ के सरोवरों का जल खिले हुये कमलों के द्वारा सुगन्धित हो रहा था। स्थान-स्थान पर रमणीक उपवन भी थे, जो फल-पुष्प के सौरभ से आह्लादित कर देते थे। नगर के भीतर विभिन्न भागों में चित्ताकर्षक चित्रशालायें बनी थीं। खाईं के जल में हंस, कारण्डव तथा चक्रवाक आदि पक्षी तैरते रहते थे और उनसे पुर की छटा अन्वेक्षणीय थी।

नागरिक

नागरिक विद्या-विनय से सम्पन्न, सभ्य और धर्मपरायण थे। उनमें से कुछ ऐसे थे, जो कई भाषाओं को बोल लेते थे, कुछ कई तरह के शिल्पों पर अधिकार रखते थे। धन प्राप्ति की इच्छा से वहाँ पर विभिन्न दिशाओं के वणिक आते थे। विभिन्न पुर-भागों में धवल तथा उत्तुंग भवन सुशोभित थे। अपनी विलक्षण शोभा द्वारा यह नगर अमरावती की छटा का स्मरण दिला रहा था। महाभारत में आने वाला यह इन्द्रप्रस्थ-वर्णन इस नगर का सर्वोत्तम निरूपण है जिससे उसके पुराने ठाट-बाट और ऐश्वर्य का ज्ञान होता है।